लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने स्मारक घोटाला मामले के 16 अभियुक्तों की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में विजिलेंस के विवेचनाधिकारी विनोद चंद्र तिवारी के खिलाफ अवमानना का मामला चलाए जाने की मांग की गई थी.
याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की एकल पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि विवेचनाधिकारी के खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना का कोई मामला नहीं बनता. वहीं याचियों का कहना था कि उनके खिलाफ स्मारक के निर्माण मामले में पत्थर सप्लाई इत्यादि में घोटाले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट में भी आया. हाईकोर्ट ने 23 सितंबर 2019 के आदेश में विवेचनाधिकारी को याचियों की ओर से दिए जा रहे दस्तावेजों को भी विवेचना में शामिल करने का आदेश दिया था. बावजूद इसके उनके दस्तावेजों को शामिल नहीं करते हुए आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया.
वहीं याचिका के अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने विरोध किया. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि रिट कोर्ट ने बस इतना आदेश दिया था कि मामले से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों को विवेचना में शामिल किया जाए. न्यायालय ने यह नहीं कहा था कि याचियों द्वारा उपलब्ध कराए गए गैर जरूरी दस्तावेज भी शामिल कर लिए जाएं. विवेचनाधिकारी ने महत्वपूर्ण दस्तावेजों को शामिल किया है. लिहाजा, उसके खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना का कोई मामला नहीं बनता.
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