लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहुचर्चि हाथरस कांड के मामले में सुनवाई को स्थगित करने या कहीं अन्यत्र ट्रांसफर करने से फिलहाल इनकार कर दिया है. हालांकि न्यायालय ने कहा कि सीबीआई चाहे तो विचारण स्थानांतरित करने के लिए अलग से प्रार्थना पत्र दाखिल कर सकती है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने हाथरस मामले में स्वतः संज्ञान द्वारा 'गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार' टाइटिल से दर्ज जनहित याचिका पर आदेश पारित किया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद न्यायालय पूरे मामले की मॉनीटरिंग भी कर रही है. पिछली सुनवाई 19 मार्च को पीड़ित परिवार की अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर हाथरस कोर्ट में उन्हें धमकी मिलने व सम्बंधित अदालत में मामले के विचारण के दौरान कुछ उपद्रवियों के द्वारा बाधा खड़ा करने का आरेप लगाया गया था. इसके बाद उन्होंने मौखिक रूप से कहा गया था कि ऐसे हालात में विचारण अन्यत्र ट्रांसफर कर दिया जाए. हालांकि इसके बाद कोविड महामारी के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो पाई. इस बार की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पूर्व के आदेश के अनुपालन में जनपद न्यायाधीश हाथरस, एससी-एसटी एक्ट के विशेष जज व सीआरपीएफ की ओर से 5 मार्च 2020 की कथित घटना को लेकर प्रेषित जांच रिपोर्ट रिकॉर्ड पर लिया. न्यायालय ने रिपोर्ट को देखने के बाद कहा कि मामले में न तो विचारण पर स्थगन की आवश्यकता है और न ही उसे कहीं अलग ट्रांसफर करने की. मामले की संवेदनशीलता के कारण न्यायालय ने जांच रिपोर्ट्स का उल्लेख अपने आदेश में नहीं किया.