लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हत्या के मामले की एक अपील की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. न्यायालय ने कहा है कि यदि अभियोजन के कथानक में असम्भाव्यता अर्थात कथानक का वास्तविक होना बहुत कम सम्भव हो, वहां कथित प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही पर अभियुक्त को दोषसिद्ध करना सुरक्षित नहीं है. न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ हत्या के दस साल पुराने मामले के अभियुक्तों को बरी कर दिया. यह निर्णय न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूति राजीव सिंह की खंडपीठ ने नितिन सिंह और अमित सिंह की ओर से दाखिल दो अलग-अलग अपीलों पर पारित किया.
क्या था मामला
मामला अयोध्या जनपद के कैंट थाना क्षेत्र का था. दोनों अपीलकर्ताओं को अरुण कुमार सिंह की हत्या के मामले में सत्र अदालत ने दोषसिद्ध करते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. जिसके बाद हाइकोर्ट ने पाया कि मामले में मृतक के भाई और एक अन्य व्यक्ति द्वारा घटना का देखा जाना बताया गया है. अभियोजन के अनुसार, जब अपीलकर्ता मृतक को डंडे और कुल्हाड़ी से मार रहे थे, तभी दोनों प्रत्यक्षदर्शी वहां पहुंच गए और मोटर साइकिल की रोशनी में उन्होंने अपीलकर्ताओं को पहचान लिया. हालांकि अभियोजन के अनुसार, वे तुरंत मृतक को नहीं पहचान सके क्योंकि मृतक की पीठ ऊपर थी.