लखनऊ और मथुरा बने साइबर अपराधियों के नए ठिकाने, प्रदेश में अब तक पकड़े गए 439 साइबर अपराधी - मथुरा साइबर अपराधियों का नया ठिकाना
उत्तर प्रदेश में लखनऊ और मथुरा साइबर क्रिमिनल्स के नए ठिकाने बन गए हैं. प्रदेश में अब तक 439 साइबर अपराधी पकड़े गए हैं. प्रदेश में साइबर अपराधियों का नया गढ़ मथुरा के मड़ौरा समेत कुछ अन्य गांव हैं. मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर रुपये ऐंठने का प्रयास करने वाले दो साइबर अपराधी भी मथुरा के मड़ौरा गांव से ही पकड़े गए थे.
साइबर क्राइम.
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Published : Sep 8, 2021, 10:47 AM IST
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Updated : Sep 8, 2021, 11:11 AM IST
लखनऊ: झारखंड के जामताड़ा के साइबर क्रिमिनल्स पूरे देश में ठगी का जाल फैलाएं हैं, तो अब मेवात क्षेत्र इनके नए हब के रूप में सामने आया है. मेवात क्षेत्र में राजस्थान के भरतपुर और हरियाणा के नूह के अलावा यूपी में मथुरा का कुछ हिस्सा भी आता है, जिसे बीते कुछ वर्षों में साइबर अपराधियों ने अपना ठिकाना बनाया है. प्रदेश में साइबर अपराधियों का नया गढ़ मथुरा के मड़ौरा समेत कुछ अन्य गांव भी हैं. मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर रुपये ऐंठने का प्रयास करने वाले दो साइबर अपराधी भी मथुरा के मड़ौरा गांव से ही पकड़े गए थे. इस कांड के बाद साइबर सेल ने मेवात और मथुरा में अपनी मूवमेंट बढ़ा दी है.
मेवात के साइबर अपराधियों ने उड़ाए 1.39 लाख
20 अगस्त को नोएडा के सेक्टर-36 स्थित साइबर अपराध थाना पुलिस ने लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी करने के आरोप में नूंह के गांव ठेक निवासी शमशेर और शफी मोहम्मद को हरियाणा के मेवात से गिरफ्तार किया है. आरोपियों के पास से पीओएस मशीन, डेबिट कार्ड बरामद हुए. नोएडा के साइबर अपराध थाने के निरीक्षक के मुताबिक, गाजियाबाद निवासी एके माहेश्वरी ने शिकायत की थी कि कुछ लोगों ने उनका फ्लैट किराए पर लेने के लिए संपर्क किया था. आरोपियों ने उन्हें क्यूआर कोड भेजकर एडवांस में किराया देने के नाम पर उनके बैंक खाते से 1 लाख 39 हजार रुपये निकाल लिए.
जानकारी देते एडीजी साइबर क्राइम राम कुमार.
यूपी में साइबर ठगों ने अभी तक बैंक खातों से उड़ाए 57 करोड़
एडीजी साइबर क्राइम राम कुमार की मानें तो प्रदेश के 18 परिक्षेत्रीय साइबर थानों में वर्ष 2016 से अब तक 617 मुकदमे दर्ज कराए गए हैं. इनमें पुलिस ने 439 साइबर आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. साइबर थानों में दर्ज कुल मुकदमों में पुलिस ने 167 मामलों में आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया है और 43 मामलों में अंतिम रिपोर्ट लग चुकी है. इनमें कई आरोपियों से पूछताछ में उनके झारखंड कनेक्शन के साथ-साथ मथुरा के लिंक भी सामने आए हैं. अभी तक साइबर ठगों ने अलग-अलग कई घटनाओं को अंजाम दे 57 करोड़ रुपये से अधिक की रकम बैंक खातों से उड़ाई है, जबकि पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से करीब 2 करोड़ रुपये बरामद किए हैं और करीब 6 करोड़ रुपये विभिन्न खातों में फ्रीज कराए हैं.
एडीजी साइबर क्राइम राम कुमार की मानें तो इन अपराधियों से निपटने व उनकी गिरफ्तारी के लिए देशव्यापी व्यवस्था की गई है. देश में साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए 4 राज्यों का समूह मिलकर काम कर रहा है. राज्यों को किस रीजन में रखा जाए, इसके लिए पूर्व में हुए अपराधों का अध्ययन किया गया. उत्तर प्रदेश को मेवात रीजन में रखा गया है. उत्तर प्रदेश को मेवात रीजन में शामिल करने का उद्देश्य यह है कि मेवात से ऑनलाइन ठगी के मामले बड़ी संख्या में आने और उनके निशाने पर समीपस्थ राज्य होने से उन राज्यों को एक समूह में रखा गया है. यूपी का मथुरा का मड़ौरा गांव भी इसमें शामिल है.
अन्य राज्यों के रीजन का निर्धारण भी इसी आधार पर किया गया है. ऐसी प्रकार मध्य प्रदेश को अहमदाबाद रीजन में शामिल करने का उद्देश्य यह है कि गुजरात में शेयर बाजार में निवेश का झांसा देने वाले अपराधियों की भरमार है. गुजरात के विभिन्न शहरों से फोन के माध्यम से लालच दिया जाता है कि शेयर बाजार में निश्चित शुल्क देकर भारी मुनाफा करवाया जाएगा. इन लोगों का मुख्य निशाना मध्य प्रदेश के बड़े शहर रहते हैं. इसी प्रकार दो अन्य जोनों में भी राज्यों के चिन्हित करने का काम चल रहा है. इस व्यवस्था से सभी जोनों में हुए साइबर अपराधों की पड़ताल करने में आसानी होगी. इसके अलावा जामताड़ा व मेवात कोआर्डिनेशन इन्वेस्टीगेशन टीम बनाई गई हैं. दोनों ही टीमों में यूपी पुलिस भी शामिल है और अन्य राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं.
इस नंबर पर करें शिकायत, पैसा मिलेगा वापस
एडीजी साइबर क्राइम राम कुमार की मानें तो केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर 155260 को 16 जून से 112 यूपी से भी जोड़ा गया है. ठगी की शिकायत मिलने के तत्काल बाद शिकायत नंबर के साथ विस्तृत जानकारी उस बैंक या ई-वॉलेट के पास भेज दी जाती है, जिस बैंक में ठगी का पैसा गया होता है. बैंक के सिस्टम में यह जानकारी फ्लैश करने लगती है. यदि पैसे संबंधित बैंक या वालेट के पास ही हैं तो वह उसे तत्काल फ्रीज कर देगा. यदि पैसा किसी और बैंक या वालेट में चला गया हो तो वह उसे संबंधित बैंक या वालेट को भेज देगा. यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी, जब तक उस पैसे की पहचान कर उसे फ्रीज नहीं कर दिया जाता है.
प्रदेश में दर्ज साइबर अपराध के मुकदमे और उनमें होने वाली कार्रवाई के आंकड़े