लखनऊःप्रतिबंधों के बावजूदउत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दिवाली की रात शहरवासियों ने खूब पटाखे जलाए. जिसका नतीजा शुक्रवार सुबह साफ देखने को मिला. एक रात के इस जश्न ने अब सांस लेना भी दूभर कर दिया है. शुक्रवार को लखनऊ के कई इलाकों की आबोहवा में पटाखों से होने वाला प्रदूषण ऐसा फैला कि सांस लेने के लायक भी नहीं रहा. मॉर्निंग वॉक पर निकले लोगों को परेशानी हुई और आंखों में जलन जैसी शिकायतें आई.
यहां की हवा में पीएम 2.5 तत्व सबसे अधिक मात्रा में पाया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से यह 15.9 गुना ज्यादा स्तर पर है. विशेषज्ञों की मानें तो यह बेहद हानिकारक है. सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो लखनऊ में इस समय यानी सुबह11 बजे लालबाग की हवा सबसे गंदी पाई गई. यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 310 तक पहुंच गया है. जोकि, खतरे के निशान के ऊपर निकल गई है. लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण स्तर में धीरे-धीरे गिरावट आएगी. स्थिति को सुधरने में कम से कम 5 से 6 दिन लगेंगे. उसके बाद ही कुछ सुधार की उम्मीद है.
लालबाग के बाद तालकटोरा इलाके की हवा सबसे ज्यादा जहरीली हुई है. गोमतीनगर के लोग भी दीपावली में पटाखे चलाने में किसी से पीछे नहीं रहे. वर्तमान आंकड़ों में लालबाग के बाद यहां की हवा को सबसे ज्यादा दूषित पाया गया. इसका एक्यूआई 280 है. बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय का इलाका हरियाली से भरा हुआ है. बड़ी संख्या में पेड़ लगे हैं इसके बावजूद यहां प्रदूषण का स्तर काफी ऊंचा है. सुबह 11 बजे यहां का एक्यूआई 272 तक मापा गया.
राजधानी का यह हाल तब है जब, त्योहार में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए लगातार प्रयास किए गए. जिला प्रशासन की ओर से लगातार बैठकें की गई. जिला स्तर पर डीएम अभिषेक प्रकाश खुद कई बैठकों में निर्देश दे चुके हैं. इसके बावजूद न तो ट्रैफिक व्यवस्था सुधरी, न प्रदूषण ही घटा.
यह है शहर का एक्यूआई
लखनऊ | 209 |
कुकरैल | 258 |
बीआर अम्बेडकर विश्वविद्यालय | 272 |
सेंट्रल स्कूल | 242 |
गोमतीनगर | 280 |
लालबाग | 310 |
तालकटोरा | 289 |