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लखनऊ प्रशासन का अभिनव प्रयास, विलुप्त रेठ नदी को किया जाएगा पुनर्जीवित

लखनऊ प्रशासन के पास रेठ नदी का पूरा नक्शा मौजूद है. सरकारी आंकड़ों में दर्ज होने के बावजूद नदी का विलुप्त हो जाना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है. आखिरकार प्रशासन ने इससे पहले कार्यवाही क्यों नहीं की.

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Published : May 20, 2021, 5:55 PM IST

विलुप्त रेठ नदी को किया जाएगा पुनर्जीवित
विलुप्त रेठ नदी को किया जाएगा पुनर्जीवित

लखनऊ :कभी जनपद के ग्रामीण अंचलों में बहने वाली व वर्तमान में विलुप्त हो चुकी रेठ नदी को लखनऊ प्रशासन ने फिर से जीवित करने की कवायद शुरू कर दी है. इस कड़ी में लखनऊ के बक्शी का तालाब विकास खंड में प्रशासनिक अधिकारियों ने कार्य शुरू कर दिया है. इसके तहत नदी के उद्गम स्थल से लेकर आखिरी छोर तक काम किया जाना है.

नदी का तैयार किया गया नक्शा

विलुप्त प्राय रेठ नदी का ज्यादातर हिस्सा लखनऊ के बक्शी का तालाब इलाके में आता है. इसके तहत वहां की खंड विकास अधिकारी और उपजिलाधिकारी इस प्रोजेक्ट को लेकर विशेष भूमिका में हैं. कहा जाए तो इनकी पहल से ही इस परियोजना की शुरुआत हो सकी है. खंड विकास अधिकारी पूजा सिंह ने नदी के उद्गम स्थल से लेकर लखनऊ के अंतिम छोर तक इसका निरीक्षण किया. इसका नक्शा भी तैयार करवाया है. इसके बाद अब स्थलीय पैमाइश करवाई जा रही है. इसमें तहसील प्रशासन का भी पूरा सहयोगा लिया जा रहा है.

लखनऊ के इन ग्रामों से होकर गुजरती है रेठ नदी

विलुप्त हो चुकी रेठ नदी का ज्यादातर हिस्सा लखनऊ के बक्शी का तालाब विकास खंड के अंतर्गत पड़ने वाले ग्रामों से होकर गुजरता है. इसमें कई गांव शामिल हैं. मुख्य रूप से जिन गांवों के बीच से ये नदी निकलती थी, उनमें कुम्हरांवा, खजूरी, बाजपुर गंगौरा, सरांवा, इंदारा, करीमनगर जैसे आधा दर्जन से अधिक गांव शामिल हैं. इन गांवों से ये नदी प्रावाहित होते हुए बाराबंकी के निंदूरा ब्लॉक से गोमती नदी में प्रावाहित होती है. लखनऊ में इस नदी का 8 किलोमीटर का हिस्सा आता है.

क्यों हुई रेठ नदी विलुप्त

लखनऊ प्रशासन के पास रेठ नदी का पूरा नक्शा मौजूद है. सरकारी आंकड़ों में दर्ज होने के बावजूद नदी का विलुप्त हो जाना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है. आखिरकार प्रशासन ने इससे पहले कार्यवाही क्यों नहीं की. हालांकि खंड विकास अधिकारी पूजा सिंह की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार ग्रामीणों ने रेठ नदी पर अतिक्रमण कर लिया था. साथ ही कई अन्य कारण भी रहे जिसकी वजह से इस नदी का अस्तित्व समाप्त हो गया.

मनरेगा योजना के तहत होगा कार्य

बक्शी का तालाब विकास खंड में विलुप्तप्राय रेठ नदी का प्रशासनिक अधिकारियों ने निरीक्षण किया. ये फैसला लिया कि इस पुनरुद्धार के कार्य को मनरेगा के तहत किया जाएगा. विकास खंड द्वारा इसके लिए मनरेगा में एक प्रक्कलन बनवाकर स्थानीय मनरेगा मजदूरों से इस कार्य को संपादित करवाया जाएगा. रेठ नदी को जो इस समय एक नाले के रूप में तब्दील हो गयी है, उसे उसके वास्तविक रूप में लाया जाएगा.

नदीं को वास्विक रूप देने के फायदे

विलुप्तप्राय नदी रेठ को उसके वास्तविक स्वारूप में लाने से स्थानीय पर्यावरण बेहतर बनेगा. सबसे खास बात ये है कि नदी बनने से वहां का स्थानीय भूगर्भ जल स्तर भी बेहतर हो जाएगा. वहीं, वहां के स्थानीय मजदूरों को और प्रवासी मजदूरों को भी काम मिल जाएगा जो कि कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक रूप से परेशान चल रहे हैं.

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