भू-माफियाओं पर ताबड़तोड़ कार्रवाई, 18 दिन में खाली हुईं 161 करोड़ की जमीनें - yogi government
उत्तर प्रदेश में भू-माफियाओं पर कार्यवाही के लिए योगी सरकार ने 2017 में एंटी भू-माफिया स्क्वायड का गठन किया था. इस स्क्वायड ने पिछले कुछ दिनों में भू-माफियाओं पर अब तक की सबसे तेज और बड़ी कार्यवाही की है. एंटी भू-माफिया स्क्वायड ने लगभग 261 करोड़ 16 लाख रुपए की सरकारी जमीन भू-माफियाओं से मुक्त कराई है. पिछले चार सालों में इस स्क्वायड ने कहां-कहां कार्रवाई की, आइए डालते हैं एक नजर.
अवैध कब्जे पर प्रशासन का बुलडोजर
लखनऊ:उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद भू-माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए मई 2017 को एंटी भू-माफिया स्क्वायड का गठन किया गया था. इसके गठन के बाद कार्रवाई भी की गई थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों में लखनऊ जिला प्रशासन ने जिस तरह से भू-माफियाओं पर कार्रवाई की है वह बीते वर्षों में सबसे तेज कार्रवाई है.
राजधानी लखनऊ में हुईं यह चार बड़ी कार्रवाई
बीते 18 दिनों में लखनऊ जिला प्रशासन ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए बड़ी संख्या में सरकारी जमीन को भू-माफियाओं से मुक्त कराया है. जिसमें तमाम प्रभावशाली, ताकतवर और कद्दावर लोग शामिल हैं. लखनऊ जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कभी सपा सरकार में रहे दर्जा प्राप्त मंत्री के कब्जे से सरकारी भूमि को मुक्त कराया है.
पहला केस
इन 18 दिनों में लखनऊ जिला प्रशासन ने सबसे बड़ी कार्रवाई सदर तहसील के अंतर्गत कैरियर हॉस्पिटल के ऊपर की है. यह हॉस्पिटल कैरियर ट्रस्ट का है, जिसने IIM रोड स्थित गांव को जोड़ने वाले चकरोड (सरकारी रास्ते) की 72000 वर्ग मीटर सरकारी जमीन पर कब्जा करते हुए बिल्डिंग बना ली थी. ग्राम समाज की 2 बीघा जमीन पर फार्महाउस का निर्माण कर दिया था. इस अवैध निर्माण को लेकर कई बार जिला प्रशासन से शिकायत भी की गई. जबकि कैरियर हॉस्पिटल को लेकर जिला प्रशासन को पिछले कई वर्षों से शिकायतें मिल रही थीं मगर कार्यवाही नहीं हो पा रही थी. बीते 18 दिनों में लखनऊ जिला प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए चकरोट (सरकारी रास्ते) की 72000 वर्ग फीट जमीन व ग्राम समाज की 2 बीघा जमीन को मुक्त कराने में कामयाबी हासिल की है. इस कार्यवाही के तहत ट्रस्ट के मालिकों के खिलाफ मड़ियांव थाने में एफआइआर भी दर्ज कराई गई है.
दूसरा केस
लखनऊ जिला प्रशासन को सरोजनी नगर स्थित एक झील पर भू-माफियाओं के कब्जे को हटाने में भी कामयाबी मिली है. वहीं बिजनौर स्थित 11 हेक्टेयर झील पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा था. कब्जा करते हुए झील की जमीन पर प्लाटिंग कर दी गई थी. लंबे समय से जिला प्रशासन जमीन को खाली कराने का प्रयास कर रहा था लेकिन कामयाबी नहीं मिल पा रही थी. लॉकडाउन समाप्त होने के बाद लखनऊ जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश के नेतृत्व में सरोजनी नगर तहसील के एसडीएम प्रफुल्ल त्रिपाठी ने जमीन को खाली कराने में कामयाबी हासिल की है व कब्जा करने वाले भूमाफिया शहजाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है.
तीसरा केस
सरोजनी नगर में अजय यादव पूर्व ब्लाक प्रमुख ने सड़क पर 500 मीटर का कब्जा कर रखा था, जिससे लोगों को समस्या का सामना करना पड़ा था पूर्व ब्लाक प्रमुख के इस तरह से अवैध कब्जे को लेकर कई बार जिला प्रशासन को शिकायत मिली थी. नोटिस भी जारी किया गया था लेकिन पूर्व ब्लाक प्रमुख की ओर से जमीन खाली नहीं की जा रही थी. इसी बीच लखनऊ जिला प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए सड़क पर 500 मीटर जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने का काम किया है.
चौथा केस
राजधानी लखनऊ की बीकेटी तहसील के अंतर्गत एसडीएम संतोष कुमार के निर्देशों के तहत 76 लाख रुपए की कीमत की खलियान की भूमि को भूमाफिया से मुक्त कराने की प्रभावी कार्रवाई की गई है. खलिहान की इस भूमि पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर लिया था जिसको जिला प्रशासन की ओर से खाली कराया गया है.
आसान नहीं था पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री के अस्पताल की अवैध बिल्डिंग को गिराना
सरकारी जमीन पर बने कैरियर हॉस्पिटल की अवैध बिल्डिंग से जमीन को मुक्त कराना लखनऊ जिला प्रशासन के लिए आसान नहीं था. 29 फरवरी 2020 को जिला प्रशासन की ओर से नोटिस जारी कर जमीन को खाली करने की बात कही गई थी. जिसके बाद कैरियर ट्रस्ट की ओर से न ही कोई अपील की गई और न ही जवाब दिया गया. जिला प्रशासन की टीम ने कैरियर ट्रस्ट की ओर से अपना पक्ष रखने का चार महीने तक समय दिया गया. इस बीच कोई जवाब न मिलने के बाद जिला प्रशासन ने चकरोड (सरकारी रास्ते) पर बने अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बिल्डिंग को ध्वस्त करने का काम किया है.
बीते 4 वर्षों में हुईं यह कार्रवाई
एंटी भू-माफिया स्क्वायड शुरू होने के बाद बीते 4 वर्षों में लखनऊ जिला प्रशासन ने बड़ी कार्यवाही की है. इस दौरान लखनऊ जिला प्रशासन को 5 तहसीलों में कुल 2643 शिकायतें मिली हैं. जिनमें से 152 शिकायतों को गलत पाया गया है और 83 शिकायतें न्यायालय में विचाराधीन है. 304 शिकायतों को समझौतों के आधार पर निस्तारित किया गया है. सभी तहसीलों को मिलाकर 1314 शिकायतों पर कार्यवाही करते हुए जमीन को कब्जा मुक्त कराया गया है. कुल 2633 शिकायतों का निस्तारण किया गया है. इन शिकायतों के तहत 1250.82 हेक्टेयर भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया है, इस कार्यवाही में राजस्व में 75 वाद दर्ज कराए गए हैं. सिविल में 2 मामले दर्ज है जबकि भू-माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही करते हुए 67 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं. 3 वर्षों में की गई शिकायतों में से 11 शिकायतें शेष बची हुईं हैं.
ऐसे होती है भू माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई
जमीन कब्जा होने के संदर्भ में शिकायत मिलने पर या अधिकारी के संज्ञान में मामला आने के बाद कब्जेदार व्यक्ति को नोटिस जारी की जाती है और अगर सरकारी जमीन पर पक्का निर्माण है यानी कि छत पड़ी हुई है तो फिर तहसीलदार कोर्ट से उसके खिलाफ बेदखली की कार्रवाई की जाती है. बेदखली की कार्यवाही के बाद जिला प्रशासन मौके पर जाकर निर्माण को गिराता है. सरकारी जमीन दो तरह की होती हैं आरक्षित व सामान्य, आरक्षित जमीन में तालाब, सड़क, नाली, चारागाह आदि शामिल होती हैं जिनका काम निर्धारित होता है, वहीं सामान्य भूमि में बंजर, परती, नवीन भूमि शामिल होती हैं.
एडीएम प्रशासन व एंटी भू-माफिया स्क्वायड प्रभारी अमरपाल सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भू-माफिया से सरकारी जमीन को मुक्त कराने के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है. लॉकडाउन के दौरान हम लगातार कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए काम कर रहे हैं. इसी बीच शासन से निर्देश मिलते हैं कि जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. इसी को लेकर हम अभियान चला रहे हैं. पिछली 9 जून 2020 से लेकर अब तक 172.296 सरकारी जमीन भू-माफियाओं से मुक्त कराई गई है. जिसकी कीमत 261 करोड़ 16 लाख रुपए हैं.
एसडीएम मोहनलालगंज पल्लवी मिश्रा ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देशों में एंटी भू माफिया के तहत लगातार सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. तालाब, चारागाह, सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने का काम किया जा रहा है.
Last Updated : Jun 30, 2020, 6:41 PM IST