लखनऊ:इन दिनों 'चमकी बुखार' की वजह से बिहार चर्चा में बना हुआ है. चमकी बुखार की वजह से बिहार में करीब 100 बच्चों की मृत्यु हो गई. राजधानी लखनऊ में इस त्रासदी से निपटने के लिए अस्पताल में तैयारियां चल रही है और प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.
चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की सख्या लगातार बढ़ रही है. - इन दिनों बिहार में 'चमकी बुखार' कहर बरपा रही है.
- हर रोज चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
- इसको लेकर उत्तर प्रदेश में भी अभियान चलाए जा रहे हैं.
- 'चमकी बुखार' को हर राज्य में अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है.
- उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इसे 'जापानी बुखार' भी कहा जाता है.
लगातार बढ़ रही 'चमकी बुखार'
- सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि यह सभी बुखार संचारी रोग में आता है.
- एसकेएमसीएच के आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से साल 2012 में सबसे ज्यादा 120 मौतें हुई.
- 2013 में 39 साल, 2014 में 90 फिर 2015 में 11, 2016 में 4 मौतें हुई.
- 2017 में 11 मौतें जबकि पिछले साल 7 बच्चों की जान गई थी.
- लेकिन इस साल यह आंकड़ें लगातार बढ़ रहे हैं.
जापानी (चमकी) बुखार के क्या है लक्षण ?
- बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा रहता है.
- बदन में ऐठन होती है, बच्चे के दांत पर दांत चढ़ जाते हैं.
- कमजोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश होता है.
- यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है.
- कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटि काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा.
- जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है.
पहली बार गोरखपुर में दी थी दस्तक
- गोरखपुर में 1977 में पहली बार इस बीमारी ने दस्तक दी थी.
- इस साल 274 बच्चे बिमारी से भर्ती हुए थे, जिसमें 58 बच्चों की मौत हो गई थी.
- तब से लेकर आज तक इस बीमारी लगातार मासूम बच्चों की मौत हो रही है.
- वर्ष 2005 में इस बीमारी का सबसे भयानक कहर पूर्वांचल ने झेला.
- यूपी में करीब 1500 बच्चों की मौत हो गई थी.
- इस बीमारी के चलते हैं 2005 में सबसे ज्यादा मौतें हुईं.
- साल 2016 में बीते सालों की अपेक्षा मौतों की संख्या में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च डाटा वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 40 साल में करीब 40 हजार बच्चे इस बीमारी के चपेट में आए. जिसमें करीब 10 हजार बच्चों की मौत हुई है.