लखनऊ:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को उनके सरकारी आवास पर कैबिनेट बैठक हुई. बैठक में कपट पूर्वक धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए अध्यादेश पारित ' उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020' मंजूर कर लिया गया. इस अध्यादेश के मुताबिक एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के लिए संबंधित पक्षों को विहित प्राधिकारी के समक्ष उद्घोषणा करनी होगी कि यह धर्म परिवर्तन पूरी तरह स्वेच्छा से है. संबंधित लोगों को यह भी बताना होगा कि उन पर कहीं भी, किसी भी तरह का कोई प्रलोभन या दबाव नहीं है.
क्या है अध्यादेश
अध्यादेश के तहत अब कोई भी व्यक्ति अपना धर्म और पहचान छुपाकर यदि किसी युवती से शादी करेगा और उसका धर्म परिवर्तन कराएगा, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
अध्यादेश के मुख्य बिंदु
- सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में सामाजिक संगठनों का पंजीकरण निरस्त किया जाएगा और उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जा सकेगी.
- धर्म छिपाकर दूसरे धर्म में किए गए विवाह के संज्ञान में आने पर ऐसा विवाह मान्य नहीं होगा.
- झूठ, बल, प्रलोभन या किसी कपट पूर्ण माध्यम से कराए गए धर्मातरण पर आरोपी के खिलाफ गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज होगा और इसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में होगी.
- यह अध्यादेश अवयस्क महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के संबंध में ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए वृहद दंड का प्रावधान करेगा.
कैद के साथ जुर्माने का प्रावधान
इस अध्यादेश के उपबंधों का उल्लंघन करने पर कम से कम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष की कैद और जुर्माने की राशि कम से कम 15,000 रुपये होगी. अवयस्क महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के संबंध में धारा-तीन के उल्लंघन पर कारावास होगा. इस दशा में कारावास कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक होगा. साथ ही जुर्माने की राशि कम से कम 25 हजार रुपये होगी. सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में कारावास कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक होगा, साथ ही जुर्माने की राशि कम से कम 50 हजार रुपये होगी.
धर्म बदलना है तो दो माह पहले डीएम को दें जानकारी
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि यह अध्यादेश उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सामान्य रखने के लिए और महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए जरूरी है. इस अध्यादेश के अनुसार, धर्म परिवर्तन के इच्छुक होने पर जिला मजिस्ट्रेट को दो महीने पूर्व सूचना देनी होगी. इसका उल्लंघन किए जाने पर छह माह से तीन वर्ष तक की सजा और कम से कम 10,000 रुपये जुर्माने की राशि का प्रावधान किया गया है.
लॉ कमीशन की रिपोर्ट पर बनी अध्यादेश की रूपरेखा
अध्यादेश लाने से पहले स्टेट लॉ कमीशन से इसके नियमों को लेकर रिपोर्ट मांगी गई थी. लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिसके बाद यूपी के गृह विभाग ने इसकी रूपरेखा बनाकर न्याय एवं विधि विभाग से अनुमति ली थी. मंगलवार शाम को हुई कैबिनेट की बैठक में लव जिहाद के कानून पर अंतिम मुहर लग गई. अब इस अध्यादेश को मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. उनकी मंजूरी मिलते ही 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 के तहत कार्रवाई हो सकेगी. मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में तय किया गया कि विधानसभा के अगले सत्र में इसे पास कराने के लिए प्रस्तावित किया जाएगा.
सीएम ने दिया था बयान-लव जिहाद को सख्ती से रोकेंगे
विधानसभा उपचुनाव के दौरान जौनपुर जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने लव जिहाद पर सख्ती करने की घोषणा की थी. उन्होंने जनसभा में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के हवाले से कहा था कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन आवश्यक नहीं है. इसको मान्यता नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए सरकार भी एक प्रभावी कानून बनाएगी. सीएम योगी ने कहा था कि इस देश में चोरी-छिपे, नाम और धर्म छिपाकर जो लोग बहन-बेटियों के साथ खिलवाड़ करते हैं, उनको पहले से मेरी चेतावनी है.