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कुंभ मेले के आयोजन में हुआ भ्रष्टाचार, लोकायुक्त ने तलब की रिपोर्ट - corruption in uttar pradesh

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में साल 2018-19 में आयोजित कुंभ मेले पर सवाल उठाए गए थे. सरकारी खर्च का बंटरबाट कर कुंभ मेले का आयोजन कराने की बात सामने आई थी. आरोप था कि ठेकेदार को अवैधानिक लाभ पहुंचाया गया. दरअसल, राज्य सरकार ने कुंभ मेले पर 4 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च किए थे.

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कुंभ मेले के आयोजन में भ्रष्टाचार.

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Published : Oct 18, 2020, 10:54 PM IST

लखनऊ: प्रयागराज में साल 2018-19 में कुंभ के आयोजन में भ्रष्टाचार किया गया था. इन कामों के लिए ठेकेदार को अवैधानिक लाभ पहुंचा कर निजी हित लाभ साधने, ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर भ्रष्टाचार करने और जनता के पैसे की लूट के आरोपों की शिकायत की गई है. इस मामले की जांच के लिए आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बना दी है. इसके साथ ही लोकायुक्त कार्यालय ने भी जांच रिपोर्ट मांगी है.

लोकायुक्त ने तलब की रिपोर्ट .
कुंभ मेले के दौरान निर्माण, विकास, सुंदरीकरण और विद्युतीकरण के तमाम काम प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने कराए थे. शासन के अनु सचिव अजय कुमार सिंह ने एलडीए सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि वह शीघ्र पूरे मामले की जांच कराएं, जिससे समय पर लोकायुक्त कार्यालय को रिपोर्ट भेजी जा सके. शिकायतों में कहा गया है कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण के तत्कालीन मुख्य अभियंता ओपी मिश्रा, अधिशासी अभियंता विद्युत यांत्रिक अवनींद्र कुमार सिंह, सहायक अभियंता श्याम दास गुप्ता, अवर अभियंता शशि भान सिंह और सुरेंद्र कुमार दीक्षित ने ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर भ्रष्टाचार किया है. जनता के पैसों की खुलेआम लूट की गई.

अनु सचिव ने अपने पत्र में लिखा है कि शिकायतों की जांच के लिए समिति गठित की गई है. एलडीए सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति में प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक राजीव कुमार सिंह, मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह और विद्युत यांत्रिक विभाग के अधिशासी अभियंता शिवेंद्र कुमार अग्रवाल को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. एलडीए ने 12 अक्टूबर 2020 को प्रयागराज विकास प्राधिकरण के सचिव को पत्र लिखकर घोटाले से जुड़ी सभी मूल पत्रावलियां मंगवाई हैं.

कहा गया है कि इस मामले में लोकायुक्त संदर्भ भी आच्छादित है. लोकायुक्त प्रकरण में समय से कार्रवाई पूरी न होने पर यह राज्यपाल के समक्ष विशेष प्रतिवेदन के रूप में परिवर्तित हो जाता है. फिर मामले के विलंब के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए जांच कर शीघ्र शासन को आख्या तत्काल उपलब्ध कराएं.

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