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अपने फैसलों से खुद को इंडिया गठबंधन से दूर कर रहे सपा मुखिया अखिलेश यादव, किसके साथ उतरेंगे सियासी मैदान में ? - सपा लोकसभा चुनाव तैयारी

एमपी में सीट बंटवारे को लेकर सपा का कांग्रेस से विवाद सामने आया था. सपा मुखिया (Akhilesh Yadav Lok Sabha election) ने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए थे, इसके बाद से उनकी गठबंधन से दूरियां बढ़ने लगी हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 20, 2023, 7:03 PM IST

लखनऊ :इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद को दूर करने में जुट गए हैं. वह पिछले कुछ दिनों में इस प्रकार से फैसले ले रहे हैं, जिससे इंडिया गठबंधन और समाजवादी पार्टी के बीच दूरियां बढ़ती चली जा रहीं हैं. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव खुलकर न सिर्फ चुनाव मैदान में उतरे बल्कि कांग्रेस पर जमकर निशाना भी साधा. अब न्यूज एंकरों की डिबेट में हिस्सा लेने पर लगाई गई रोक के बावजूद अखिलेश यादव ने सपा प्रवक्ताओं को डिबेट में हिस्सा लेने के निर्देश दिए हैं. यह फैसला उनके इंडिया गठबंधन से अलग राह पर चलने की ओर इशारा कर रहा है. अखिलेश यादव 2024 की लोकसभा चुनाव के सियासी रण में कैसे और किसके साथ उतरेंगे, यह देखने वाली बात होगी.

सपा तेजी से चुनाव की तैयारी कर रही है.

65 सीटों पर चुनाव लड़ने की कही बात :2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव अपनी तैयारी को अपने स्तर पर मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं. पिछले दिनों उन्होंने पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक की और प्रदेश की 65 लोकसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन के अंतर्गत सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही. साथ यह भी जोड़ा कि अगर इंडिया गठबंधन से समझौता नहीं होता है तो समाजवादी पार्टी प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव मैदान में उतरेगी और अकेले दम पर भारतीय जनता पार्टी को हराने का काम करेगी.

कांग्रेस से नाराजगी अभी भी बरकरार :समाजवादी पार्टी छोटे दलों में अपना दल कमेरावादी और महानदल जैसे दलों को साथ लेकर अपनी तैयारी को आगे बढ़ा रही है. अखिलेश के इस ऐलान के बाद कांग्रेस भी असहज है और पिछले दिनों कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि हम भी अपनी तैयारी सभी सीटों पर कर रहे हैं. कोई भी दल अपनी तैयारी अपने हिसाब से कर सकता है. इससे पहले दोनों दोनों के नेताओं के बीच जमकर गलत तरीके से बातचीत भी सार्वजनिक हुई थी, एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हुई थी. इससे भी दोनों तरफ नाराजगी अभी भी बरकरार है. कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से इस पूरे विषय पर कोई बातचीत सपाध्यक्ष अखिलेश यादव से नहीं की गई.

सीटों पर बंटवारे को लेकर रार भी सामने आ चुकी है.

भाजपा के साथ कांग्रेस पर भी साधा निशाना :चौंकाने वाली बात यह है कि अखिलेश यादव की जब मध्य प्रदेश में इंडिया गठबंधन के साथ बात नहीं बनी तो तमाम सीटों पर कैंडिडेट उतार दिए. जब अखिलेश यादव ने मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार किया तो भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी पर भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि देश की बदहाली के लिए भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी भी जिम्मेदार है. कांग्रेस और भाजपा में कोई अंतर नहीं है. इसके बाद इंडिया गठबंधन के अंतर्गत मीडिया एंकर्स की डिबेट में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था. कुछ दिनों तक सपा के प्रवक्ता उन एंकर्स की डिबेट में नहीं गए जिन पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन अचानक पिछले दिनों अखिलेश यादव के निर्देश पर जिन एंकर्स की मीडिया डिबेट पर हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था वह समाप्त कर दिया गया.

पूरे सूबे में तैयारी को आगे बढ़ा रहे अखिलेश :सपा मुखिया के इस फैसले से कांग्रेस के बीच भी असहज स्थिति पैदा हुई कि जब इंडिया गठबंधन के स्तर पर इस प्रकार की बातचीत की गई है तो फिर सहयोगी दल के अखिलेश यादव इस तरह के कदम क्यों उठा रहे हैं. ऐसे तमाम घटनाक्रम है जिससे यह साबित होता है कि अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने पर अब राजी नहीं हैं, वह अपने दम पर भाजपा को उत्तर प्रदेश में रोकने का काम करेंगे. हालांकि हरियाणा के जींद में एक कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने कहा है कि आने वाले समय में सपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा है और इंडिया गठबंधन भाजपा को हराने का काम करता है, तो उन्हें खुशी होगी. हम सब मिलकर इंडिया गठबंधन को जिताने का काम करेंगे वही चौंकाने वाली बात यह भी है कि अखिलेश यादव पूरे प्रदेश में अपने दम पर चुनावी तैयारी को आगे बढ़ा रहे हैं. पार्टी के चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को भी चुनावी क्षेत्रों में तैयारी करने के संकेत कर दिए गए हैं.

अखिलेश के कई फैसले कुछ अलग ही इशारा कर रहे हैं.

सभी सीटों पर लड़ेगी सपा :समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता व विधायक रविदास मेहरोत्रा कहते हैं कि हम अपने स्तर पर चुनावी तैयारी को आगे बढ़ा रहे हैं. सभी सीटों को मजबूती के साथ लड़ा जाएगा. इंडिया गठबंधन से बातचीत चल रही है. पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद सीट शेयरिंग जैसे विषयों पर बातचीत होनी है. अगर बातचीत नहीं बनती है तो समाजवादी पार्टी अपने स्तर पर छोटे दलों के सहयोग से चुनाव मैदान में उतरेगी.

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