लखनऊः बीए एलएलबी पहले सेमेस्टर के छात्र से रैगिंग का आरोप अगर आरोपी छात्रों पर सिद्ध हो जाता है तो भी अभी उन पर कार्रवाई नहीं हो पाएगी. बहरहाल डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े शिक्षकों का कहना है कि सबूत मिलना इतना आसान नहीं है, क्योंकि छात्रावासों में लगे सीसीटीवी की रिकार्डिंग अधिक समय से नहीं रहती है. यूजीसी द्वारा जानकारी दिए जाने के बाद डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रशासन सक्रिय हुआ है. उसके कारण बताओ नोटिस में आरोपी छात्रों ने घटना में शामिल होने से इनकार कर दिया है. अब विश्वविद्यालय के पास केवल सीसीटीवी का ही सहारा है.
विश्वविद्यालय के चीफ प्राक्टर और चीफ प्रोवोस्ट केए पांडे (KA Pandey, Chief Proctor and Chief Provost of the University) ने बताया कि घटना पुरानी है. लिहाजा सीसीटीवी फुटेज की रिकार्डिंग मंगवाई है. एक-एक दिन के फुटेज की रिकार्डिंग की बारीकी से जांच की जाएगी. प्रो. केए पांडे का कहना है कि आरोपों को लेकर गार्डों के भी बयान लिए गए हैं, लेकिन गार्डों ने पीड़ित छात्र के आरोपों का समर्थन नहीं किया है. ऐसे में आरोप की सत्यता जानने का एक मात्र तरीका सीसीटीवी फुटेज है. वहीं विवि के एक वरिष्ठ शिक्षक का कहना है कि काफी मुश्किल है यह साबित कर पाना कि रैगिंग हुई है, क्योंकि छात्रावासों में लगे सीसीटीवी की रिकार्डिंग की क्षमता तो कम है ही और उसके कैमरे इतने अच्छे नहीं है कि रात की रिकार्डिंग सही से होगी.