लखनऊ : लोहिया अस्पताल में नर्सिंग भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की जांच अभी तक फाइनल नहीं हो पाई है. कह सकते हैं कि कमेटी इसकी जांच के लिए काफी सुस्त है. जिसका खामियाजा 28 हजार से अधिक अभ्यर्थियों को चुकानी पड़ रही है. परीक्षा को लेकर अभी तक संस्थान प्रशासन की जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. बता दें, इसकी जांच लोहिया अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजन भटनागर की टीम कर रही है. जांच अंतिम दौर में है.
Lohia Hospital Nursing Recruitment Test की जांच सुस्त, दांव पर 28 हजार अभ्यर्थियों का भविष्य - भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी
लोहिया अस्पताल में नर्सिंग भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की जांच अभी तक फाइनल नहीं हो पाई है. इससे 28 हजार से अधिक अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है. बताया जा रहा है कि जांच अंतिम दौर है.
नौ फरवरी को लोहिया संस्थान की नर्सिंग भर्ती परीक्षा देश के 92 सेंटरों पर हुई थी. इसमें सात सेंटरों में भारी पैमाने पर गड़बड़ी उजागर हुई थी. पर्यवेक्षक बंधक बना लिए गए थे. अभ्यर्थी मोबाइल लेकर सेंटर के भीतर दाखिल हो गए थे. गुजरात की एजेंसी एडुटेस्ट ने परीक्षा कराई थी. सात सेंटरों की परीक्षा संस्थान प्रशासन ने रद्द कर दी है. संस्थान के प्रवक्ता डॉ. एपी सिंह ने बताया कि मामले की जांच के लिए हाईपावर कमेटी गठित की गई है. कमेटी के सदस्य वीडियो, ईमेल से मिली शिकायत व पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट को आधार मानकर जांच कर रहे हैं. जांच अंतिम दौर में है. जल्द ही रिपोर्ट आने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा.
नर्सिंग भर्ती परीक्षा नौ फरवरी को हुई थी. गुजरात की एडुटेस्ट एजेंसी को परीक्षा कराने की जिम्मेदारी मिली है. प्रदेश के 92 सेंटरों में 43 हजार अभ्यर्थियों के शामिल होना था. पहली पाली की परीक्षा में सात केंद्रों में बदइंतजामी उजागर हुई थी. केंद्रों पर तय से ज्यादा अभ्यर्थी पहुंच गए थे. कई सेंटरों पर बिजली गुल हो गई थी. बैकअप का इंतजाम नहीं था. माउस व कम्प्यूटर ने भी धोखा दे दिया था. कई केंद्रों पर पर्यवेक्षकों को बंधक बना लिया गया था. संस्थान प्रशासन ने तुरंत सात केंद्रों की परीक्षा रद्द कर दी थी.
पीजीआई ने कराई शांति पूर्वक परीक्षा : बीते सप्ताह पीजीआई ने नर्सिंग की भर्ती परीक्षा कराई. परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बड़ी के आरोप नहीं लगे. जबकि लोहिया की नर्सिंग भर्ती परीक्षा में ढेरों गड़बड़ियां उजागर हुई. इससे संस्थान और सरकार की काफी किरकिरी हुई है. अब जांच में सुस्ती बरती जा रही है.
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