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बेपटरी हुआ कपड़ा कारोबार, कोरोना के डर से दुकानों तक नहीं पहुंच रहे ग्राहक

लॉकडाउन में छूट के बाद बेजार पड़े बाजार अब फिर से गुलजार हो रहे हैं. व्यापारी थोड़ी राहत की सांस ले रहे हैं. लेकिन अभी चेहरे से हंसी काफूर ही है. इसकी वजह है व्यवसाय का न के बराबर होना. लॉकडाउन के बाद मिली छूट से व्यवसाय पर क्या फर्क पड़ा है, इसको लेकर ईटीवी भारत ने शहर के खुदरा व्यापारियों के साथ, परिधान आउटलेट्स के व्यापारियों से इसके बारे में जानकारी ली.

लखनऊ: बेपटरी हुआ कपड़ा कारोबार
लखनऊ: बेपटरी हुआ कपड़ा कारोबार

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Published : Jun 11, 2020, 7:36 AM IST

लखनऊ: राजधानी के चौक स्थित मोहम्मद शारिक की खुदरा कपड़े की बड़ी दुकान है. इस दुकान से बनारस, इलाहाबाद, जयपुर और भोपाल तक कपड़ों की सप्लाई होती है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान कारोबार ठप रहने और अब थोड़ी सी छूट के बावजूद कपड़ा व्यापार में कोई बदलाव नज़र नहीं आ रहा है. बड़े-बड़े व्यापारी अभी माल नहीं ले रहे हैं. बाहर के लिए अभी ट्रांसपोर्टेशन भी नहीं हो पा रहा है. सामान्य ग्राहक दुकान पर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में नुकसान अभी भी हो ही रहा है. दुकान पर जो कर्मचारी हैं उन्हें वेतन देने में भी दिक्कतें आ रही हैं. किसी तरह आधा वेतन देकर काम चलाया जा रहा है. जब व्यापार पटरी पर लौट आएगा तब पूरा वेतन दे पाएंगे. शारिक बताते हैं कि अभी फिलहाल लॉकडाउन में छूट के बावजूद कपड़ा कारोबार में तेजी नहीं आई है. पहले की तुलना में अभी कारोबार जीरो है.

लखनऊ: कोरोना से कपड़ा व्यापारियों की हालत खराब

दुकानों पर नहीं पहुंच रहे ग्राहक
शहर में कपड़े की दुकानें तो पहले की तरह खुलने लगी हैं. लेकिन पहले की तरह कस्टमर अब गारमेंट शॉप पर खरीदारी के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. यह व्यापारियों के लिए काफी चिंता का विषय बना हुआ है. कोरोना अभी खत्म होने वाला नहीं है इसलिए व्यापारियों का कपड़ा व्यापार दिन-ब-दिन प्रभावित ही होता जा रहा है.

अमीनाबाद में चिकन के कपड़े का कारोबार करने वाली नीलम का कहना है कि पहले ठीक-ठाक बिक्री हो जाती थी, लेकिन कोरोना के कारण ग्राहक नहीं आ रहे हैं. बस दुकान खुलती है और बंद हो जाती है. ग्राहक घर से दुकान की तरफ कपड़ों की खरीदारी करने आ ही नहीं रहे हैं. गर्मी में ही चिकन कपड़ों का कारोबार होता है लेकिन इस बार कोरोना की वजह से खरीदारी ही नहीं हुई है.

कोरोना ने कारोबार किया चौपट
सभी कपड़ा दुकानदारों की तरह अमीनाबाद में नरेश का भी लेडीज कपड़ों की दुकान है. शादी के समय यहां पर खासकर महिलाएं अपने लिए कपड़ों की खरीदारी करने आती हैं. यहां पर पार्टी वियर कपड़े भी मौजूद हैं. लेकिन अब सिर्फ ये शोपीस बने हुए हैं. शादियों का सीजन कोरोना की भेंट चढ़ गया, इसलिए बिक्री का सवाल ही पैदा नहीं हुआ. अब लॉकडाउन में थोड़ी छूट भी मिली है लेकिन दुकान पर कोई भी कपड़ा खरीदने नहीं आ रहा है. नरेश बताते हैं कि कोरोना ने सारा कारोबार चौपट कर दिया है. यह समझ लीजिए कि पहले जहां 100 ग्राहक आते थे अब एक ग्राहक आ रहा है.

ग्राहकों में है कोरोना का डर
राजधानी के गणेशगंज इलाके में कपड़ा व्यवसायी अशोक मोतियानी के छोटे भाई की छोटी दुकान काफी प्रसिद्ध है. आम दिनों में इस दुकान पर खरीदारों की भीड़ लगी रहती थी लेकिन इन दिनों इक्का-दुक्का ग्राहक ही दुकान पर नजर आ रहे हैं. वह भी ऐसे ग्राहक हैं जिनके घरों में शादियां होनी हैं. वे शादी की खरीदारी कर रहे हैं. हालांकि उनकी भी संख्या बहुत कम ही है. सामान्य ग्राहक तो दुकान की तरफ खरीदारी के लिए रुख ही नहीं कर रहे हैं.

दुकान पर है सुरक्षा की व्यवस्था

हालांकि छोटे भाई की छोटी दुकान पर कोरोना से बचाव के लिए सारी व्यवस्था भी की गई है. कस्टमर के दुकान के गेट पर आते ही थर्मल स्क्रीनिंग के साथ ही सैनिटाइजर की भी व्यवस्था ह. बावजूद इसके कोरोना का डर लोगों के सिर पर अभी सवार है. इसलिए कपड़े की दुकानें अभी ग्राहकों के बगैर ही खुली हुई हैं. अशोक मोतियानी बताते हैं कि रमजान और शादी के दौरान पहले खूब बिक्री होती थी, लेकिन कोरोना ने इस बार सब कुछ चौपट कर दिया है.

जून में कुछ शादी होनी है उसी की लोग खरीदारी कर रहे हैं. आम लोग अभी दुकान पर आ ही नहीं रहे. इसके पीछे वे कई सारी वजह भी बताते हैं. दुकान पर काम करने वाले वर्कर को सैलरी भी देनी होती है, उसमे भी समस्याएं खड़ी हो रही हैं. उन्हें भी भूखा नहीं रखा जा सकता उनका भी परिवार है इसलिए मिल बांटकर काम चलाया जा रहा है. जहां तक लॉकडाउन से पहले कपड़ा व्यवसाय की बात की जाए तो बहुत अच्छी बिक्री होती थी, लेकिन अब तो कुछ है ही नहीं. व्यवसाय न के बराबर है. मोतियानी का कहना है कि शायद अक्टूबर से ही फिर से कपड़ा व्यवसाय पहले की तरह वापस पटरी पर लौटे. उनका कहना है अब तक लखनऊ में ही अकेले कपड़ा व्यापार को अरबों का नुकसान हो चुका है.

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