लखनऊ : आरटीओ कार्यालयों में आवेदकों को अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में काफी दिक्कतें आ रहीं हैं. लाइसेंस के स्लॉट लगातार कम किए जा रहे हैं. इससे आवेदकों की दिक्कतों में इजाफा होता जा रहा है. लर्निंग, परमानेंट, रिन्यूअल और डुप्लीकेट समेत लर्निंग अबाउट टू एक्सपायर के स्लॉट में काफी कमी की गई है. इससे आवेदकों को सही समय पर टाइम स्लॉट नहीं मिल पा रहा है. इससे उनकी समस्या कम होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं.
आवेदकों को इसी तरह की समस्या से हर रोज जूझना पड़ रहा है. इस समस्या को दूर करने के बजाय अधिकारी टाइम स्लॉट में कटौती ही करते जा रहे हैं. अधिकारियों के इस रवैए से लाइसेंस बनवाने की चाहत रखने वाले आवेदकों को काफी परेशानी हो रही है. आवेदक समय पर अपनी फीस भी जमा कर देते हैं लेकिन उन्हें शिक्षार्थी लाइसेंस से स्थाई लाइसेंस बनवाने के लिए टाइम स्लॉट ही नहीं मिलता. फीस कट जाती है समय मिलता नहीं, इसी वजह से लाइसेंस समय पर नहीं बनता. आवेदकों की इस समस्या की तरफ ध्यान देने की बजाय परिवहन विभाग के अधिकारी स्लॉट कम करने पर कहीं ज्यादा गंभीरता दिखा रहे हैं. कोरोना के समय से ही टाइम स्लॉट में जो कटौती शुरू हुई वह लगातार जारी ही है. उस समय की स्थितियों और आज की स्थितियों में काफी अंतर है. ऐसे में कोरोना काल से पहले के टाइम स्लॉट बहाल करने के बजाय अभी भी स्लॉट कम ही किए जा रहे हैं.
पहले थे इतने स्लॉट, अब रह गए इतने :ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय की बात करें तो पहले की तुलना में यहां डीएल के स्लॉट में काफी कमी कर दी गई है. लर्निंग लाइसेंस के स्लॉट पहले 450 थे. इसके बाद 225 कर दिए गए और अब सिर्फ 114 ही स्लॉट फिक्स किए गए हैं. यानी लर्निंग लाइसेंस के स्लॉट अब पहले की तुलना में लगभग आधे हो गए हैं. बात अगर परमानेंट लाइसेंस के लिए स्लॉट की करें तो पहले यह संख्या 276 थी. अब यह स्लॉट घटाकर सिर्फ 198 ही कर दिए गए हैं.
यानी परमानेंट स्लॉट भी पहले की अपेक्षा 78 कम हो गए हैं. लर्निंग अबाउट टू एक्सपायर के स्लॉट पहले 150 थे. उसे घटाकर अब सिर्फ 33 कर दिया गया है. यानी साढ़े चार गुना संख्या ऐसे स्लॉट की भी कम कर दी गई है. स्लॉट की कमी का भुगतान सीधे तौर पर आवेदकों को करना पड़ रहा है. स्लॉट कम किए जाने के चलते लर्नर आवेदक, लर्नर से परमानेंट, रिन्यूअल, डुप्लीकेट और एक्सपायर हो रहे लाइसेंस आवेदकों को झेलना पड़ रहा है.