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तमाम नेताओं की हसरतें दो सीटों से कैसे पूरा कर पाएगी भाजपा - UP Bureau Chief Alok Tripathi

विधान परिषद की दोनों सीटों के लिए 11 से 18 मई तक नामांकन किया जाना है. 29 मई को मतदान व परिणाम आएगा. संख्या बल के आधार पर माना जा रहा है कि दोनों सदस्य भाजपा के ही होंगे. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

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Published : May 6, 2023, 8:15 AM IST

Updated : May 6, 2023, 2:54 PM IST

लखनऊ :विधान परिषद की रिक्त दो सीटों पर चुनाव के लिए कार्यक्रम जारी हो गया है. इसके साथ ही यह चर्चा भी तेज हो गई है कि आखिर विधान परिषद में जगह चाहने वाले तमाम पार्टी नेताओं की हसरतों को भाजपा कैसे पूरा कर पाएगी. यह दोनों सीटें क्रमश: बनवारी लाल के निधन और लक्ष्मण आचार्य के इस्तीफे के कारण रिक्त हुई हैं. इन दोनों सीटों के लिए सदस्यों का चुनाव विधान सभा में चुनकर आए नेता मतदान के बाद करेंगे. भारतीय जनता पार्टी में विधान परिषद जाने की इच्छा रखने वाले नेताओं की संख्या अच्छी खासी है. स्वाभाविक है कि इसके लिए शीर्ष नेताओं को अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ेगी. गौरतलब है कि 11 से 18 मई तक दोनों सीटों के लिए नामांकन किया जाना है. 22 मई नाम वापसी की अंतिम तिथि होगी और 29 मई को मतदान व परिणाम का दिन होगा. संख्या बल के आधार पर यह तय माना जा रहा है कि दोनों सदस्य भाजपा के ही होंगे.

यूपी विधान परिषद की रिक्त दो सीटों पर चुनाव.
माना जा रहा है कि भाजपा इन दो सीटों पर अपने क्षेत्रीय अध्यक्षों में से किसी एक और नाम को मौका दे सकती है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ताओं में से भी कई लोग दावेदारी कर रहे हैं. पिछले दिनों नामित किए जाने वाले विधान परिषद सदस्यों में प्रवक्ताओं को मौका नहीं मिल सका था. वहीं कहा यह भी जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी में शामिल हुए कुछ नेताओं में से भी एक नाम पर विचार हो सकता है. हालांकि पिछले कुछ माह में बीजेपी द्वारा की गई घोषणाओं ने सबको चौंकाया है. जो नाम चर्चा में रहे उनकी जगह कुछ ऐसे नामों की घोषणा हुई जिनके बारे में लोग सोच भी नहीं रहे थे. भाजपा हमेशा किसी व्यक्ति से ज्यादा संगठन को महत्व देती है और संगठन का हित सबसे पहले देखती है. इसलिए ताज्जुब नहीं होगा कि भाजपा इस बार भी किन्हीं चौकाने वाले नामों की घोषणा कर दे. हम सब जानते हैं कि 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं और ऐसी स्थिति में पार्टी जातीय समीकरण के साथ ही क्षेत्रीय संतुलन व अन्य बिंदुओं को भी ध्यान में रखेगी। पार्टी यह भी चाहेगी कि कम से कम नेता नाराज हों.
यूपी विधान परिषद की रिक्त दो सीटों पर चुनाव.
गौरतलब है कि विगत कई माह से रिक्त चल रहे विधान परिषद की छह सीटों के लिए सदस्यों को नामित किया गया. जिन नामों की घोषणा हुई, उनमें से कुछ चर्चा से अलग काफी चौंकाने वाले थे. इन नामों में भाजपा ने जातीय समीकरणों को भी साधने की कोशिश की है. इनमें पूर्वांचल के राजभर समाज से, दलित और पसमांदा मुसलमान पर विशेष ध्यान दिया गया है. यदि इन नामों पर चर्चा करें, तो दलित समुदाय से आने वाले लालजी प्रसाद निर्मल को एमएलसी नामित किया गया है, जो अंबेडकर महासभा के साथ ही अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के अध्यक्ष भी हैं. दूसरा नाम है रजनीकांत माहेश्वरी का, जो भाजपा बृज क्षेत्र के अध्यक्ष भी हैं. महेश्वरी संघ से जुड़े हुए हैं और पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता माने जाते हैं. तीसरा नाम है तारीख मंदसौर का, जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति थे और नाम घोषित किए जाने के बाद पद से इस्तीफा दे दिया. चौथा नाम रामसूरत राजभर का है. वह 1980 से भाजपा में सक्रिय हैं. पांचवां नाम है हंसराज विश्वकर्मा का, जो राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे और पूर्व मुख्यमंत्री स्व कल्याण सिंह के करीबी थे. छोटा नाम साकेत मिश्रा का है. साकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रहे नरेंद्र मिश्रा के बेटे हैं. वह देवरिया जिले के निवासी हैं. इस मनोनयन के साथ ही विधान परिषद में भाजपा के सदस्यों की संख्या 80 हो गई है. यह एक रिकॉर्ड भी है, क्योंकि आजादी के बाद से अब तक किसी भी दल के पास कुल सौ में से 80% सीटों पर कब्जा नहीं रहा. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. एसटी मिश्रा कहते हैं इस समय भारतीय जनता पार्टी का फोकस आगामी 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव है. इसलिए पार्टी चुनाव को ध्यान में रखकर ही नामों की घोषणा करेगी. निश्चित रूप से भाजपा इस समय सबसे बड़ा दल है. केंद्र और प्रदेश में उसकी सरकारें हैं. इसलिए यहां नेताओं और दावेदारों की संख्या भी ज्यादा है. हालांकि संगठन पर किसी तरह से नेताओं का कोई दबाव नहीं रहता और जो फैसले होते हैं वह पार्टी हित को ध्यान में रखकर ही किए जाते हैं. इन फैसलों में किसी एक व्यक्ति की जगह सामूहिक निर्णय होता है. इसलिए अन्य दलों की भांति यहां कोई लाबिंग या दबाव काम नहीं करता. यदि इस बार भी कोई चौंकाने वाले नाम सामने आ जाएं, तो ताज्जुब नहीं किया जाना चाहिए.
Last Updated : May 6, 2023, 2:54 PM IST

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