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यूपी में ये है वामपंथी छात्र संगठनों का रीवाइवल प्लान, जानिए पूरी रणनीति... - up assembly election 2022

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के बीच वामपंथी छात्र संगठन सक्रिय होने लगे हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) की यूनिट का गठन किया गया है.

यूपी में सक्रिय हुए वामपंथी छात्र संगठन.
यूपी में सक्रिय हुए वामपंथी छात्र संगठन.

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Published : Nov 20, 2021, 2:18 PM IST

लखनऊःउत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) के बीच अब वामपंथी छात्र संगठन भी अपनी जमीन तलाशने लगे हैं. इस विचारधारा को शिक्षण संस्थानों में खड़ा करने की कवायदें तेज कर दी गई हैं. ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) हो या स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) जैसे दूसरे वामपंथी छात्र संगठन खुद को मजबूत करने में लगे हैं. फिलहाल, रोजगार और छात्रों के दूसरे मुद्दों के सहारे इकाइयों को गठन कर सक्रियता साबित की जा रही है.

यूपी में सक्रिय हुए वामपंथी छात्र संगठन.
AISA के कार्यकर्ता आदर्श ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में आइसा का यूनिट का गठन किया गया है. इसी तरह बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय समेत अन्य विश्वविद्यालयों में भी यूनिट बनाई जा रही हैं. उन्होंने बताया कि AISA की तरफ से बीते कई महीनों से 'यूपी मांगे रोजगार' अभियान चलाया जा रहा है. अच्छी बात यह है कि AISA के इस आंदोलन को SFI और दूसरे वामपंथी छात्र संगठनों का समर्थन मिला है. सिर्फ वामपंथी ही नहीं बल्कि ससमाजवादी छात्रसभा का भी विश्वविद्यालय के स्तर पर काफी मिल रहा है. AISA से जुड़ी प्राची ने बताया कि बीते कुछ महीनों में प्रदेश भर में हुई घटनाओं में आइसा काफी सक्रिय रहा है. जल्द ही, कई विश्वविद्यालयों में इकाइयों का गठन किया जा रहा है.इसे भी पढ़ें-दलित उत्पीड़न के मामले निकले झूठे, अब सरकार से मिली आर्थिक सहायता की होगी वसूली

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में कई राज्य विश्वविद्यालय में वामपंथी छात्र संगठनों का दबदबा रहा है. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहली बार 1935-36 में लखनऊ में ही एक सम्मेलन के दौरान छात्र संगठनों को वामपंथी विचारधारा के साथ मजबूत किया गया था. आजादी के करीब तीन दशक बाद तक इस संगठनों ने विश्वविद्यालयों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. इसके बाद इन संगठनों की सक्रियता धीरे-धीरे कम होती गई. वामपंथी संगठनों के कमजोर होने के साथ ही छात्रसंगठन भी खत्म से होने लगे थे. हालांकि, अब इन्हें दोबारा खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है.

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