लखनऊ: लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों में उठापटक शुरु हो गई है. ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों के बागियों की पहली पसंद कांग्रेस पार्टी बनती नजर आ रही है. तमाम पार्टियों के बागी मंत्री, सांसद और विधायक अपनी पार्टी से रूठकर कांग्रेस की तरफ रुख कर रहे हैं. इससे कांग्रेस का कुनबा मजबूत हो रहा है तो दूसरी पार्टियों में घमासान मचा हुआ है.
प्रदेश में बसपा और सपा के गठबंधन के बाद बरसों से पार्टी की सेवा कर रहे नेता बगावत करने लगे हैं. बागी हो चुके नेता अपनी पार्टी का दामन छोड़ सीधा कांग्रेस की तरफ भाग रहे हैं. कांग्रेस भी ऐसे बागी नेताओं को शरण देने में कोई कोताही नहीं कर रही है. बसपा के कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कांग्रेस में शामिल होने से शुरू हुआ यह सिलसिला बदस्तूर जारी है. अगर पार्टियों के नुकसान की बात की जाए तो कांग्रेस ने सबसे ज्यादा नुकसान बसपा को ही पहुंचाया है. इसका असर सपा और भाजपा पर भी पड़ा है.
कई पार्टियों के नेता कांग्रेस में शामिल हुए बसपा के इन सिपाहियों ने थामा कांग्रेस का हाथ
हालांकि बागी नेताओं के सामने शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी एक बड़ा विकल्प है, लेकिन कांग्रेस पार्टी शिवपाल की पार्टी पर भारी पड़ रही है. पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने जब बसपा का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थामा तो उन्होंने बसपा को अंदर से तोड़ने का काम भी शुरू कर दिया. इसी का नतीजा है कि पहले बसपा में राज्य मंत्री और एमएलसी रहे अतहर खां ने बसपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामा. सीतापुर से पूर्व सांसद रहीं कैसर जहां, बसपा से ही 2 बार विधायक रहे उनके पति जास्मीर अंसारी और बसपा के ही टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ चुके आफताब खान ने भी बसपा का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया है.
भाजपा और सपा भी इससे अछूते नहीं हैं
बहराइच में भाजपा से सांसद सावित्री बाई फूले, सपा के पूर्व सांसद राकेश सचान, भाजपा से दो बार विधायक रहे मेजर जेपी सिंह के साथ ही लोहिया वाहिनी यूथ ब्रिगेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतुल मिश्रा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. पूर्व आईपीएस सौरभ पासवान और सीआरपीएफ के सेवानिवृत्त आईजी आफताब अहमद खान ने भी कांग्रेस के साथ खड़े होने का फैसला कर लिया है. इन नेताओं के हाथ मिलाने से कांग्रेस पार्टी को काफी मजबूती मिल रही है.
कांग्रेस के प्रवक्ता ने जाहिर की खुशी
हालांकि पार्टियों के जिम्मेदार यह मानने को तैयार नहीं हैं, कि उनकी पार्टी में बिखराव हो रहा है. जानकारों की मानें तो पार्टी के बागी नेता अगर पार्टी छोड़ रहे हैं और कांग्रेस की तरफ जा रहे हैं तो आगामी लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों को नुकसान होगा और कांग्रेस को फायदा. वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. अनूप पटेल बागी नेताओं के कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन करने पर खुशी जाहिर करते हैं. उनका कहना है कि इससे पार्टी को निश्चित तौर पर मजबूती मिलेगी, लेकिन हम अपने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को भी सम्मान देने में पीछे नहीं हैं.