लखनऊः लखनऊ विकास प्राधिकरण (lda) के उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने चंदन हॉस्पिटल को औने-पौने दाम पर जमीन आवंटित करने की तैयारी संबंधीं मामले की जांच एलडीए के सचिव को सौंप दी है. लखनऊ विकास प्राधिकरण बोर्ड के सदस्य पुष्कर शुक्ला ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए वीसी से बात की थी. इसके बाद वीसी अभिषेक प्रकाश ने जांच का आदेश जारी किया.
एलडीए उपाध्यक्ष के मुताबिक, एलडीए सचिव पवन गंगवार को जांच सौंपी गई है. एक अन्य बोर्ड सदस्य ने आगामी बोर्ड मीटिंग में बिना जांच रिपोर्ट पटल पर रखे बैठक शुरू न होने देने की चेतावनी जारी करते हुए मुद्दे को मुख्यमंत्री तक ले जाने की बात कही है.
सीएम से शिकायत के बाद हरकत में आए अफसर
बता दें कि अयोध्या रोड स्थित चंदन अस्पताल को नियमों के विपरीत करोड़ों की जमीन देने की तैयारी लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने कर रखी है. यह बेशकीमती जमीन एलडीए की बताई जा रही है. मामले की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ जन कल्याण महासमिति ने शिकायत भी की थी. आरोप है कि जमीन सीधे-सीधे चंदन अस्पताल को आवंटित की जा रही है.
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जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि चंदन हॉस्पिटल के पीछे एलडीए की बेशकीमती प्रॉपर्टी है. यह जमीन लगभग 1500 वर्ग मीटर है. अधिकारी कर्मचारी कोरोना काल में उस जमीन को चंदन अस्पताल को आवंटित करने की तैयारी कर चुके हैं. यह पूरी तरह से नियम विरुद्ध है. इस तरह की कमर्शियल जमीन को देने के लिए एलडीए ई-ऑक्शन करता है जिसके बाद लोग अलग-अलग नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं.
ई-ऑक्शन प्रक्रिया में कम से कम तीन फर्म का हिस्सा लेना जरूरी होता है. उसके बाद किसी एक को जमीन दी जाती है, लेकिन इस मामले में सीधे चंदन अस्पताल को ही भूमि आवंटित किए जाने की तैयारी है, जिसकी शिकायत दर्ज कराई गई. मुख्यमंत्री के यहां शिकायत होने के बाद बोर्ड सदस्य पुष्कर शुक्ला ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश को मामले से अवगत कराया. इसके बाद अब एलडीए के सचिव पवन गंगवार को मामले की जांच सौंपी गई है.
ट्रांसफर हो चुके अधिकारी की भूमिका पर सवाल
बताया जा रहा है कि कमर्शियल और बल्क सेल में बड़े पैमाने पर एलडीए के एक अधिकारी पर गड़बड़ी करने के आरोप लगे थे. उस अधिकारी का अब ट्रांसफर हो चुका है. इस मामले में उसकी अहम भूमिका मानी जा रही है. इस अधिकारी ने ही अस्पताल को यह जमीन मनमाने दाम पर सौंपने का प्रस्ताव तैयार किया था. जानकारों के मुताबिक इस जमीन की कीमत तकरीबन 12 से 15 करोड़ रुपये है, लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों ने सिर्फ सात करोड रुपये में ही निजी अस्पताल को ये जमीन लीज पर देने का प्रस्ताव बना डाला था. अब जांच कमेटी गठित हो गई है तो शायद ओने-पौने दाम पर सौंपी जा रही. जमीन अब निजी हॉस्पिटल को हस्तांतरित न हो पाए.