लखनऊः लखनऊ विकास प्राधिकरण की अरबों की संपत्तियां कंडम हो रही हैं. कई बार नीलामी के बाद भी व्यवसायिक संपत्तियां नहीं बिक रही हैं. इन संपत्तियों में बड़ी संख्या में रिक्त कार्मशियल स्पेस पर अवैध कब्जे तक हो गए हैं. एलडीए की गुरुवार को होने वाली बैठक में 15 व्यवसायिक संपत्तियों का निस्तारण करने का विकल्प तलाशा जाएगा. इसके लिए डीएम के कैंप ऑफिस में हल निकाला जाएगा. बैठक में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव, मुख्य नगर नियोजक, अधिशासी अभियंता जोन एक, दो, चार व छह, तहसीलदार अर्जन, व्यवसायिक, बल्क सेल अनुभागों के अनुभाग अधिकारी और एजेंडा से संबंधित योजना सहायक के साथ ही जोन एक के अवर अभियंता राजेश श्रीवास्तव उपस्थित रहेंगे.
नंदा खेड़ा काम्प्लेक्स हो रहा जर्जर
तालकटोरा रोड स्थित नंदा खेड़ा में बना आवासीय कॉम्पलेक्स जर्जर हो चुका है. वर्ष 2017 में तत्कालीन एसएसपी ने अपनी रिपोर्ट में भवन के काफी पुराने होने के कारण गिरने व दुर्घटना होने की संभावना व्यक्त की है. इंजीनियरों ने इसे गिराकर नया भवन बनाने का प्रस्ताव वर्ष 2009 की बोर्ड बैठक में दिया था, लेकिन यह निर्णय लिया गया था कि बल्क सेल द्वारा इस अलोकप्रिय संपत्ति का निस्तारण किया जाए. इसके बाद दूसरे विकल्पों पर विचार किया जाए.
कैलाशकुंज काम्प्लेक्स का हाल भी बेहाल
यही हालात फैजाबाद रोड पर कैलाशकुंज कॉम्प्लेक्स की भी है. इनके रखरखाव व संचालन को लेकर एलडीए ने ध्यान नहीं दिया. नए प्रोजेक्ट बनते गए. कानपुर रोड पर शॉपिंग आर्केड को बनाकर खड़ा कर दिया गया. फैजाबाद रोड पर बजट होटल बन चुका है. दोनों ही व्यवसायिक प्रोजेक्ट को बनाने के बाद इनके संचालन को लेकर कार्ययोजना नहीं बनी.
जैसी बिल्डिंग वैसी हालत में निस्तारण की कोशिश
संयुक्त सचिव व प्रभारी डीएम कटियार ने बताया कि इन संपत्तियों के निस्तारण को लेकर प्रस्ताव तैयार किया गया है. दोनों भवनों को जैसा है, उसी के आधार पर बल्क में ई ऑक्शन से नीलाम कर दिया जाए. आवंटियों को उसी काम्प्लेक्स में उसी स्थान उसी क्षेत्रफल के बराबर दुकान समायोजन की शर्त शामिल किए जाने का भी प्रस्ताव रखा गया है. इसके अलावा पूरे काम्प्लेक्स का वर्तमान विक्रय मूल्य की गणना, दुकान का वर्तमान में आरक्षित मूल्य, भूमि की कीमत सहित काम्प्लेक्स का वर्तमान डीए सर्किल रेट आदि की रिपोर्ट तैयार की गई है. ऐशबाग स्थित राम नगर योजना में पार्क की जमीन पर करीब दर्जन भर दुकानें बना दी गई. मगर प्राधिकरण इनका आवंटन करना भूल गया. हालात यह है कि यहां पर धोबियों ने कब्जा जमा लिया है. अब एलडीए इन्हें खाली कराने की योजना बना रहा है.
इन संपत्तियों के निस्तारण पर होगा मंथन
सरकारी संस्था श्रम कल्याण बोर्ड को गोमती नगर के विभूति खंड में भूखंड संख्या टीसी-17-वी, जानकीपुरम में एसियाटिक पैशफिक उड़िया सोसाइटी को भूखंड आवंटित किया गया था. लेकिन वर्तमान में कब्जा होने के कारण खरीदारों को जमीन का कब्जा नहीं मिल पा रहा है. जमीन अधिग्रहण के बाद भी काश्तकार जमे हुए हैं. यह मुद्दा भी समीक्षा बैठक में रखा जाएगा. गोमती नगर विस्तार में शान-ए अवध के पीछे व्यवसायिक भूमि अभी रिक्त पड़ी है. यहां कामर्शियल प्लाट विकसित किए जाएंगे.
ये भी हैं सम्पत्तियां हैं बदहाल
इसके अलावा सीजी सिटी में भूखंडों के निस्तारण, व्यवसायिक संपत्तियों के ओटीएस गणना के लिए डुप्लीकेट फाइल खोलने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा. करीब 25 फाइलें गायब होने से ओटीएस में आवेदन करने वालों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. रिक्त भूमि पर स्कूल भूखंड सृजित करने, नीलगिरी इंफ्रा प्रा.लि. को आवंटित भूखंड का लीज प्लान बनाने, एचएएल को गोमती नगर योजना में आवंटित भूमि के पैमाइश व फ्री होल्ड करने, ट्रांसपोर्टनगर योजना के पार्किंग में स्थित व्यवसायिक भूखंडों की नीलामी, विकल्प खंड में कार्नर के चबूतरों व भूखंडों के लीज प्लान न बन पाने का मामले तथा सेक्टर एन आशियाना में खसरा संख्या-1007 किला मोहम्मदी पर सृजित 38 भूखंडों की रजिस्ट्री में अर्जनीय विवाद का निराकरण पर फैसला लिया जाएगा.
रोहतास, शिप्रा व तुलसियानी बिल्डर पर जल्द होगी कार्रवाई, निरस्त होंगे लाइसेंस
वहीं बिना जमीन के लोगों को आशियाने का सपना दिखाने वाले बिल्डर रोहतास (इंडस), शिप्रा और तुलसियानी को सोमवार तक मोहलत दी गई है. एलडीए से इंटीग्रेटेड टाउनशिप के तहत लाइसेंस लेने के बाद प्रोजेक्ट को समय से पूरा नहीं किया है. प्राधिकरण ने इनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रोजेक्ट को रद्द करने की चेतावनी दी थी. बुधवार को मामले की सुनवाई थी. सचिव पवन गंगवार ने बताया कि सभी बिल्डरों की ओर से कुछ समय मांगा गया है. सोमवार तक संबंधित दस्तावेज मांगे गए हैं. इसके बाद इनके खिलाफ फैसला लिया जाएगा.
ये है बिल्डरों पर आरोप
इन बिल्डरों पर आरोप था कि लंबे समय यह अपनी जमीनों पर विकास कार्य नहीं करा रहे थे. शिप्रा एस्टेट बिल्डर को 18 सितंबर 2015 में करीब 372 एकड़ में टाउनशिप विकसित करने का लाइसेंस दिया गया था. एलडीए में डीपीआर जमा किया, लेकिन जमीन के दस्तावेज नहीं दिए. शुल्क भी नहीं जमा कराया. इसी तरह तुलसियानी बिल्डर ने भी डीपीआर ही अभी तक जमा नहीं किया.
अगस्त 2015 को तलसियानी को 60 एकड़ में टाउनशिप विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई थी. नई जेल रोड पर टाउनशिप विकासित करनी थी. छह साल तक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्राधिकरण में जमा ही नहीं की. उधर इंडस का डीपीआर वर्ष 2018 2019 में स्वीकृत हो गया, लेकिन दो साल बाद न शुल्क जमा किया और कार्य शुरू करने में रुचि दिखाई. रोहतास की कंपनी इंडस को रायबरेली रोड़ पर करीब 139 एकड़ की टाउनशिप पर आवासीय योजना का खाका तैयार करना था. बिल्डर को सात जुलाई 2015 को इंटीग्रेटेड टाउनशिप का लाइसेंस मिला था.