इस वजह से तीन साल में 153 बार थमी मेट्रो की रफ्तार - मेट्रो क्षेत्र में पतंगबाजी
राजधानी लखनऊ में पतंग ने तीन साल में 153 बार मेट्रो की रफ्तार को थामा है. लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की अपील का पतंगबाजों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है, जिस पर महानगर थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन लखनऊवासियों से मेट्रो क्षेत्र में पतंगबाजी न करने की अपील करता है, लेकिन शहर के नवाबों पर इस अपील का कोई असर नहीं पड़ता. पतंगबाजी के कारण आए दिन मेट्रो का संचालन प्रभावित हो रहा है. जब अपील से काम नहीं चल रहा है तो अब पतंगबाजों के खिलाफ मेट्रो रेल कारपोरेशन की तरफ से महानगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है. इससे पहले भी पतंगबाजों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है.
अब तक 508 बार ओएचई में हुई दिक्कत
मेट्रो रेल कारपोरेशन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सोमवार को विश्वविद्यालय स्टेशन के पास तार बंधी पतंग से ओवरहेड लाइन की बिजली आपूर्ति बाधित हो गई. इससे इंसुलेटर भी खराब हो गया. मेट्रो रेल कारपोरेशन की तकनीकी विंग ने इसे रात में ही दुरुस्त किया, लेकिन इस दौरान मेट्रो सेवा काफी देर तक प्रभावित रही. इससे यात्रियों को मुसीबत झेलनी पड़ी. मेट्रो रेल कारपोरेशन के अफसरों के मुताबिक. पिछले तीन सालों में 508 बार ओएचई ट्रिप हुई है. इनमें 153 मामलों में पतंगबाजी ही कारण रहा है. ऐसा तब है जब मेट्रो संपत्ति को क्षति पहुंचाने पर 10 साल की सजा और बिना वारंट गिरफ्तारी का प्रावधान है.
तार लगी पतंग से हो सकता है पतंगबाजों का नुकसान
मेट्रो रेल कारपोरेशन की जनसंपर्क अधिकारी पुष्पा बेलानी बताती हैं कि चीनी मांझे से जहां मेट्रो सेवा बाधित हो रही हैं, वहीं पतंग उड़ाने वालों को भी नुकसान हो सकता है. तार या चीनी मांझा के 25 केवी की ओएचई के संपर्क में आने से स्थायी रूप से अपंगता तक हो सकती है. .