लखनऊ : राजधानी की जिला एवं सत्र अदालत में गुरुवार को कोई न्यायिक कार्य नहीं हो सका. सेंट्रल बार एसोसिएशन के आह्वान पर वकीलों ने गुरूवार को सभी न्यायिक कार्यो से खुद को अलग कर लिया. बता दें, कि अधिवक्ताओं में कई मुद्दो को लेकर अक्रोश है. जिसके कारण सेंट्रल बार ने 4 अगस्त को एक आकस्मिक बैठक बुलाई थी.
यह बैठक सीबीए(सेंट्रल बार एसोसिएशन) के अध्यक्ष सुनील कुमार द्विवेदी और महासचिव ब्रजेश कुमार यादव की अध्यक्षता में संपन्न हुई थी. बैठक के दौरान सेंट्रल बार एसोसिएशन ने वकीलों को 9 अगस्त तक न्यायिक कार्यो से अलग रहने का एलान किया था. बार एसोसिएशन के इस फैसले पर अमल करते हुए आज वकीलों ने न्यायिक कार्यों में भाग नहीं लिया. सेंट्रल बार ने बैठक के दौरान अपनी कुछ मांगो के निदान के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है.
बार एसोसिएशन ने इस प्रस्ताव को जिला जज को भेजा है. बार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में मांग कि गई है कि दीवानी के एक मामले में कैविएट दाखिल होने के बावजूद पारित स्थगन आदेश को प्रशासनिक स्तर पर वापस लिया जाए. साथ ही किसी मुकदमे में दूसरे वकील का वकालनामा पूर्व वकील की अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना मंजूर न किया जाए. वकालनामे पर सेंट्रल बार से जारी कूपन भी पूर्व की भांति लगाए जाएं.
जज को भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि न्यायिक अधिकारी अपनी अदालतों में समय से नहीं बैठते हैं. जिसके कारण कामकाज प्रभावित होता है. न्यायिक अधिकारियो के समय से अदालत में न बैठने के मामले की सेंट्रल बार एसोसिएशन निंदा की है. बता दें कि आगामी 9 अगस्त को एक बार फिर से सेंट्रल बार एसोसिएशन की बैठक होगी, जिसमें कई मांगो को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा.
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