लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Allahabad High Court Lucknow Bench) ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए कहा है कि कोर्ट परिसर के भीतर वकील समेत कोई भी व्यक्ति शस्त्र नहीं रख सकता है, शस्त्र रखने का अधिकार सिर्फ सुरक्षाकर्मियों को है. न्यायालय ने प्रदेश के सभी जनपद न्यायाधीशों, न्यायाइक अधिकारियों, जिला अधिकारियों, कोर्ट परिसरों के सुरक्षा प्रभारियों व शस्त्र लाइसेंस प्राधिकारियों को आदेश दिया है कि कोर्ट परिसर के भीतर हथियार रखने वाले वकीलों समेत अन्य लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं.
साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने व उनके शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की भी कार्रवाई की जाए. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोर्ट परिसर के भीतर, अधिवक्ता चैंबर्स, कैंटीन, बार एसोसिएशन्स, व परिसर के भीतर किसी भी सार्वजनिक स्थल पर शस्त्र लेकर जाना लोक शांति व लोक सुरक्षा के लिए खतरा माना जाएगा.
यह निर्णय न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने अमनदीप सिंह की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया. याचिका में याची का शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने सम्बंधी आदेश को चुनौती दी गई थी. याची का कहना था कि वह एक जूनियर अधिवक्ता है और तमाम विपक्षी पक्षकारों की नाराजगी की वजह से उसे जान का खतरा है. यह भी दलील दी गई कि अपने जीवन और सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए शस्त्र रखना उसका मौलिक अधिकार है. याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि बाराबंकी कचहरी परिसर में शस्त्र लेकर जाने के कारण याची का लाइसेंस रद् किया गया है.