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विधि छात्रों ने मूट कोर्ट के माध्यम से जानी कानून की बारीकियां - प्रोफेसर सीपी सिंह

लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय में शनिवार को मूट कोर्ट से संबंधित एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान विधि के प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स को मूट कोर्ट विषय के बारे में जानकारी दी गई. गोष्ठी में आए शिक्षक नितिन कुमार ने कहा कि हमारे पास ज्ञान होते हुए भी हम अधूरे से प्रतीत होंगे. अगर हम उस ज्ञान को समुचित तरीके से व्यक्त करना नहीं जानते. इसलिए मूट कोर्ट उस समुचित तरीके को जानने का सबसे अच्छा तरीका है.

विधि छात्रों ने मूट कोर्ट के माध्यम से जानी कानून की बारीकियां
विधि छात्रों ने मूट कोर्ट के माध्यम से जानी कानून की बारीकियां

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Published : Jan 30, 2021, 9:06 PM IST

लखनऊ: एलयू (लखनऊ विश्वविद्यालय) के विधि संकाय में शनिवार को मूट कोर्ट से संबंधित एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान विधि के प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स को मूट कोर्ट विषय के बारे में जानकारी दी गई. प्रोफेसर सीपी सिंह ने बताया कि लविवि ने उच्चतम न्यायालय को कई न्यायमूर्ति एवं वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्च न्यायालय को बहुत से न्यायमूर्ति एवं अधिवक्ता और विभिन्न प्रदेशों के अनेकों न्यायालयों को अनगिनत न्यायमूर्ति एवं अधिवक्ता दिए हैं.

विधि संकाय के प्रमुख एवं डीन प्रो. सीपी सिंह ने कहा कि लविवि का विधि संकाय इंडिया टुडे की रैंकिंग में देश के प्रमुख 10 विधि संकायों में एक है. ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास होता है. उन्होंने बताया कि इसी संकाय ने सुप्रीम कोर्ट को बहुत से न्यायमूर्ति एवं अधिवक्ता, हाईकोर्ट को कई न्यायमूर्ति एवं अधिवक्ता और विभिन्न प्रदेशों के अनेकों न्यायालयों को अनगिनत न्यायमूर्ति एवं अधिवक्ता दिए हैं. इसके अतिरिक्त देश-विदेश के विधि के क्षेत्र में न जाने कितने छात्रों ने अपनी प्रतिभा से देश व इस संकाय का नाम रोशन किया है. इसलिए हम उसी विरासत को आगे बढ़ना चाहते हैं.

मूट कोर्ट ज्ञान और वक्तव्य कला के बीच एक सेतु
वहीं शिक्षक नितिन कुमार ने कहा कि हमारे पास ज्ञान होते हुए भी हम अधूरे से प्रतीत होंगे. अगर हम उस ज्ञान को समुचित तरीके से व्यक्त करना नहीं जानते. इसलिए मूट कोर्ट उस समुचित तरीके को जानने का सबसे अच्छा तरीका है. उन्होंने कहा कि मूट कोर्ट में आप में छिपे एक कुशल अधिवक्ता को मंच पर लाने का प्रयास होता है. अगर हमें सीधा किसी न्यायालय के समक्ष उपस्थित कर दिया जाए तो हम सारी विधि को जानते हुए भी अनभिज्ञ प्रतीत होंगे, क्योंकि हमें उस समुचित तरीके का ज्ञान नहीं जिस तरीके से हम अपनी उस प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें. इसलिए मूट कोर्ट ज्ञान और वक्तव्य कला के बीच एक सेतु है.

मूट कोर्ट से सीखते शोधनकला
एलयू के रिचर्स स्टूडेंट प्रतीक त्रिपाठी ने बताया कि शोध सभी विधि छात्रों का या उससे जुड़े किसी भी व्यक्ति के लिए प्रमुख विषय है. बिना शोध के कोई अधिवक्ता एक कुशल अधिवक्ता नहीं बन सकता. शोध विधि के किसी भी क्षेत्र में काम आने वाला एक प्रमुख विषय है. मूट कोर्ट के माध्यम से हम शोधनकला को सीखते हैं और उसे परिमार्जित करके विश्व स्तर पर लाने का प्रयत्न करते हैं.

मूट कोर्ट सामान्य प्रस्तुतिकरण
एडवोकेट शम्भूनाथ मिश्रा ने बताया कि मूट कोर्ट सामान्य प्रस्तुतिकरण एवं न्यायालय में प्रस्तुतिकरण में अंतर को सीखने का सबसे अच्छा स्थान है. न्यायालय में ज्ञान होना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसे सम्प्रेषित करने का तरीका भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि प्रस्तुतिकरण के समय हमें अपने समक्ष उपस्थित बेंच को ध्यान में रखकर अपने विचार रखने होते हैं. कार्यक्रम का आयोजन लविवि मूट कोर्ट एसोसिएशन द्वारा कराया गया था.

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