लखनऊ :राज्य में बुखार का प्रकोप नहीं थम रहा है. यहां मच्छरजनित और बैक्टीरियल बीमारी भयावह हो रही है. जलभराव व गंदगी से स्क्रब टाइफस, लेप्टोस्पाइरोसिस व डेंगू-मलेरिया की समस्या बढ़ रही है. स्थिति यह है कि प्रदेश में 1 जनवरी से 12 सितम्बर तक 58 जिलों में कुल 2,073 केस रिपोर्ट किए गए हैं. वहीं अब मरीजों की संख्या 13, 300 के करीब हो गयी. लखनऊ में 28 डेंगू के मरीज मिले. इसके अलावा फैजुल्लागंज में 120 से अधिक लोग बुखार से पीड़ित हैं. 12 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है. 32 घरों में लार्वा मिलने पर नोटिस जारी किया गया है.
डेंगू ने छात्रा की ली जान, हफ्ते भर में लखनऊ में दूसरी मौत
लखनऊ के काकोरी निवासी एक छात्रा की डेंगू से मौत हो गई. डेंगू से हुई छात्रा की मौत के बाद एक तरफ जहां पीड़ित परिवार में कोहराम मचा हुआ है, वहीं इलाके में सनसनी है. दरअसल, काकोरी के बढ़ौना गांव निवासी रविराज बीजेपी के मंडल अध्यक्ष हैं. उनकी बेटी वंशिका सातवीं क्लास की छात्रा थी. पांच दिन पहले उसे बुखार आया था. परिजनों ने सामान्य बुखार समझकर क्लीनिक से दवा ले ली. सुधार न होने पर नजदीकी निजी अस्पताल में दिखाया. यहां भी डेंगू की जांच नहीं कराई गई. शनिवार रात को छात्रा को उल्टी होने लगी. परिजनों ने रविवार को उसे बलरामपुर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया. यहां जांच में डेंगू की पुष्टि हुई. इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टरों ने हालत बिगड़ता देख उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया. यहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने छात्रा को मृत घोषित कर दिया. लखनऊ में सप्ताहभर में डेंगू से यह दूसरी मौत है.
हल्के में न लें बुखार को
स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों के लिए बार-बार एडवाइजरी जारी होती रहती है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि किसी भी बुखार को हल्के में न लें. चाहे वह मलेरिया हो, डेंगू हो या कोविड. इस समय कोविड व डेंगू दोनों का खतरा है. यह दोनों ही घातक हो सकते हैं.
डेंगू के प्रकार
टाइप 1- सामान्य डेंगू - इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है. दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.
टाइप 2- डेंगू हैमेरेजिक फीवर - इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं. ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है. यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है. वहीं शरीर पर चकते पड़ जाते हैं, जिनसे खून रिसता रहता है. यह बुखार जानलेवा हो जाता है.
टाइप 3- डेंगू शॉक सिंड्रोम - इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है. वह शॉक में चला जाता है. मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है. इससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.
डेंगू के लक्षण
तेज बुखार, सिर, मांसपेशियों, जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, कमजोरी लगना, भूख न लगना व मरीज का जी मिचलाना, चेहरे, गर्दन, चेस्ट पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज पड़ना है. वहीं डेंगू हेमरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल मार्ग से खून आना है. साथ ही डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लडप्रेश लो होना, बेहोशी होना शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगना है.