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योगी सरकार का आखिरी बजट होगा चुनावी!

वित्तीय वर्ष 2021-22 में योगी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट होगा. ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले के इस बजट को सबसे खास बनाने की कोशिश शुरू हो गई है. जानकारों के मुताबिक, यह बजट एक नए रूप में सामने आ सकता है. इसमें हर गांव, घर, परिवार की बात होगी...देखें रिपोर्ट

यूपी का चुनावी बजट.
यूपी का चुनावी बजट.

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Published : Dec 30, 2020, 6:17 PM IST

लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट की तैयारियों में जुट गई है. सरकार विधानसभा चुनाव से पहले अपने इस पांचवें और आखिरी बजट को चुनावी बजट बनाने को लेकर तैयारियों में जुट गई है.

योगी सरकार के आखिरी बजट में क्या-क्या, जानिए-

आकार में भी बड़ा हो सकता है बजट

उत्तर प्रदेश के वित्त विभाग की तरफ से प्रदेश के सभी विभागों से बजट को लेकर आकलन भी मांगे गए हैं. जिसे बजट में तमाम तरह की नई योजनाएं शुरू करने का प्रावधान हो तो हर वर्ग को इस बजट के माध्यम से टच करने की कोशिश की जा सके. योगी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 5 लाख 12 हजार 860 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था. अब अगला बजट इससे भी बड़ा होने का अनुमान लगाया जा रहा है.

अब तक पेश बजट से खास बजट बनाने की कवायद

योगी सरकार अपने पांचवें और आखिरी बजट को पिछले चार साल में पेश किए गए बजट से बिल्कुल अलग और महत्वपूर्ण बनाने की कवायद में लगी हुई है. पिछले चार बजट हर वर्ष किसी न किसी खास सेक्टर पर फोकस करते हुए लाए गए थे, लेकिन इस पांचवें बजट को हर किसी की उम्मीदों का गुलदस्ता साबित करने को लेकर बजट तैयार किया जा रहा है.

आखिरी बजट की तैयारियों में जुटी योगी सरकार.

अगले चुनाव पर केंद्रित हो सकता है बजट

विभागों की शुरुआती बजट तैयारी से इसके संकेत भी मिल रहे हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार का वित्तीय वर्ष 2021-22 में लाया जाने वाला यह बजट आखिरी और पांचवा बजट होगा. ऐसी ऐसी स्थिति में सरकार इस बजट को पूरी तरह से चुनाव पर केंद्रित करते हुए नजर आ सकती है. विधानसभा चुनाव 2022 से पहले आने वाला यह बजट हर मायने में खास किया जा सकता है.

हर परिवार, हर गांव की चिंता भी दिखेगी बजट में

जानकारी के मुताबिक, इस बजट में हर गांव, हर घर और हर परिवार की बात होगी. वहीं उद्यमी, किसान, युवा और महिला की भी चिंता करने वाले प्रावधान इस बजट में नजर आएंगे. व्यापारी और बेरोजगार के लिए भी इस बजट में तमाम नए तरह के प्रावधान करने की बात कही जा रही है.

सीएम योगी आदित्यनाथ.

हर गांव डिजिटल, हर गांव में बैंक खोलने पर भी फोकस

इस बार के बजट में हर गांव को डिजिटल तकनीक से जोड़ते हुए डिजिटल गांव बनाने का एलान भी राज्य सरकार कर सकती है. हर गांव में बैंक खोलने की भी बात कही जा रही है. इसको लेकर भी आकलन और बैंक स्तर पर सरकार के तरफ से बातचीत हो रही है. इसके साथ ही हर परिवार के एक युवक को रोजगार की गारंटी देने की भी तैयारी है. यही नहीं, सरकार के इस पांचवें और आखिरी बजट में हर महिला को सुरक्षा, हर गुनहगार को जेल और हर बच्चे को पौष्टिक आहार जैसे भी एलान किए जा सकते हैं.

जनप्रतिनिधियों की निधि हो सकती है बहाल

वित्त विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि योगी सरकार के पिछले चार बजट की तुलना में यह पांचवां और आखिरी बजट काफी बड़ा बजट हो सकता है. 2022 के विधानसभा चुनाव को केंद्रित करते हुए बजट की तैयारियां की जा रही हैं. इसके अलावा जिस प्रकार से राज्य सरकार ने कोरोना संकट को देखते हुए जनप्रतिनिधियों की निधि समाप्त हुई थी. उसे इस नए बजट में शुरू करने का बड़ा एलान भी हो सकता है, जिससे विकास की रफ्तार को आगे बढ़ाया जा सके.

योगी सरकार का आखिरी बजट.

कोरोना संकट से निपटने के करने होंगे इंतजाम

जिस प्रकार से कोरोना वायरस का संकट अभी बरकरार है, ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने को लेकर भी राज्य सरकार अपने इस बजट में तमाम नई तरह की घोषणाएं कर सकती है. यह वित्तीय प्रावधान किए जाएंगे कि स्वास्थ्य सेवाओं को किस तरह से बेहतर किया जाना है. अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर या अन्य तरह के मेडिकल इक्विपमेंट्स, बेड की संख्या बढ़ाए जाने और अत्याधुनिक सुविधाओं से अस्पतालों को लैस किए जाने को लेकर सरकार का बड़ा फोकस स्वास्थ्य क्षेत्र भी हो सकता है.

युवाओं, महिलाओं पर ज्यादा फोकस हो सकता है

पीएचडी चैंबर के को-चेयरमैन मनीष खेमका ने कहा कि यह चुनाव के पहले का बजट है. ऐसी स्थिति में सरकार इसपर अपना ज्यादा फोकस करेगी. रोजगार के फ्रंट पर पहले से सरकार ने बड़ा काम किया है. तमाम बड़ी कंपनियों से एमओयू हुए हैं. मुझे लगता है कि उसे उसका अच्छा लाभ मिल रहा है. एमपी एमएलए फंड जो स्थगित किया गया था, उसे भी शुरू करने पर सरकार फैसला कर सकती है. महिलाओं और युवाओं को लेकर भी सरकार काफी कुछ कर रही है. बजट में इसपर और अधिक फोकस हो सकता है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of doing business) की रैंकिंग में सुधार हुआ है. इसके अलावा विदेशी निवेश को लेकर जो काम हुआ है, उस पर और अधिक सरकार फोकस कर सकती है.

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