रेल संरक्षा के लाखों पद पड़े हैं खाली, ट्रेन हादसों की मानी जा रही एक यह भी वजह
ट्रेनों की पटरी चटकने या फैलने से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. बीते दिनों लखनऊ के निगोहां रेलवे स्टेशन पर एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया. आइये जानते हैं कि इन हादसों को लेकर जानकारों का क्या कहना है.
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Published : Jun 27, 2023, 10:40 PM IST
वरिष्ठ संवाददात अखिल पांडेय की खास रिपोर्ट
लखनऊ : हाल ही में लखनऊ के निगोहां रेलवे स्टेशन पर एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया, जब गर्मी से ट्रेन की पटरी फैल गई और नीलांचल एक्सप्रेस पलटते-पलटते बच गई. ऐसे ही ट्रेनों की पटरी चटकने या फैलने से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. रेलवे में ट्रैक मैन के ही बड़े स्तर पर रिक्त पद पड़े हुए हैं. लखनऊ डिवीजन की ही बात करें तो करीब साढ़े सात सौ से ज्यादा ट्रैकमैन के पद खाली हैं. वहीं देशभर में दो लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर ट्रैक मैन नहीं होंगे तो फिर ट्रैक को चेक करने के लिए मशीन कौन चलाएगा? जब ट्रैक की ही जांच नहीं होगी तो पटरी पर क्या हुआ है, इसकी खबर भी भला कैसे लगेगी?
रेलवे के जानकार बताते हैं कि 'पटरियों से ट्रेन के उतरने की मुख्य वजह मैकेनिकल फाल्ट या फिर रेलवे ट्रैक पर लगने वाले उपकरण का खराब होना होता है. ऐसे हादसे तब होते हैं, जब पटरियों पर दरार पड़ जाती है. ट्रेन के कोच को टाइट रखने वाला उपकरण ढीला हो जाता है. ट्रेन की बोगी जिस पर रखी होती है, उस धुरी का टूटना भी दुर्घटना का बड़ा कारण बनता है. ट्रेन की पटरियों पर लगातार ट्रेनों के दौड़ने के कारण पटरियों में परिवर्तन हो जाता है. इसके चलते ट्रेनों के हादसे होने के चांस बढ़ जाते हैं.'
रेल संरक्षा के लाखों पद पड़े हैं खाली
हादसे के लिए ये भी हो सकते हैं बड़े कारण : रेलवे के जानकारों का मानना है कि 'रेल दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण ज्वाइंट को भी माना जा सकता है. रेल ज्वाइंट में 2.5 से तीन सेंटीमीटर का स्पेस चाहिए होता है, लेकिन इनका सही तरह से मेंटनेंस नहीं होने के चलते भी बड़ा हादसा होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में रेल की पटरी की जांच काफी मायने रखती है. इसके अलावा तापमान में बदलाव की वजह से भी धातु से बनी रेल की पटरियां गर्मी के महीनों में फैलती हैं और सर्दियों में सिकुड़ती हैं. नियमित रखरखाव में जरा सी लापरवारी बरतने पर ट्रेन हादसा हो सकता है.'
रेल संरक्षा के लाखों पद पड़े हैं खाली
ऑडिट रिपोर्ट में उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे में कई हादसे :साल 2022 की एक्सीडेंट की जो ऑडिट रिपोर्ट आई उसमें हादसों के आंकड़े सामने आए. इनमें अगर नार्दन रेलवे की बात करें तो पारिणामिक क्षति 27, यार्ड डिरेलमेंट 67 और अन्य तरह के 51 डिरेलमेंट हुए हैं. कुल मिलाकर नार्दन रेलवे में साल 2022 में ही 145 रेल हादसे हुए इसी तरह अगर पूर्वोत्तर रेलवे की बात करें तो पारिणामिक क्षति के आठ, यार्ड डिरेलमेंट 28 और अन्य तरह के डिरेलमेंट के 19 मामले सामने आए. कुल मिलाकर 55 ट्रेन हादसे हुए.
बढ़े हैं रेल हादसे :साल 2021 की तुलना में साल 2022 में रेल दुर्घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है. ये वृद्धि लगभग 38.2 प्रतिशत रही. साल 2021 के दौरान 17,993 रेल हादसे हुए. इन हादसों का बड़ा कारण लोको पायलट की गलती, ट्रैक में गड़बड़ी, सिग्नलमैन की लापरवाही शामिल हैं.
क्या कहते हैं यूनियन नेता :ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि 'अभी 1,48000 संरक्षा कोटे में भर्ती हुई है. रेलवे में भर्तियां होती रहती हैं, लेकिन यह बात बिल्कुल सही है कि इतनी भर्ती के बावजूद आज की तारीख में 2,56,000 पद खाली हैं. बालासोर की दुर्घटना हुई उस समय मैंने मंत्री से कहा कि जब तक संरक्षा के सारी पद भरे नहीं जाएंगे तब तक स्ट्रेस बना रहेगा. ठेकेदारी पर भी रोक लगानी पड़ेगी, क्योंकि ठेके में काम करने वाले लोग एक्सपर्ट नहीं हैं वो काम समझते नहीं हैं. रेगुलर लोगों की भर्ती करनी पड़ेगी. टेक्निकल वर्क जब तक कुशल कारीगर नहीं करेगा तब तक सुरक्षा नहीं हो सकती. नार्दन रेलवे में करीब 12,000 ट्रैक मैन और हेल्पर आए हैं, लेकिन अभी भी पदों की काफी रिक्तता है. जब तक पटरियां ठीक नहीं रखेंगे, उनका रखरखाव ठीक नहीं होगा. मशीन के मेंटेनेंस के लिए जो आदमी चाहिए वह आदमी ही नहीं हैं. मशीन मेंटेनेंस के लिए भी तो आदमी चाहिए. मशीन अपने आप काम नहीं कर सकती. ऐसे में ट्रैक के लिए संरक्षा के सभी पद भरे होने जरूरी हैं. ट्रैकमैन आवश्यक कड़ी है.'