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42 सालों से निभा रहे रावण का किरदार, जिन्हें राज्यपाल दे चुके है 'लंकेश' की उपाधि

राजधानी लखनऊ में पिछले 42 सालों से रावण का किरदार निभाने वाले विष्णु त्रिपाठी को लंकेश की उपाधि भी मिल चुकी है. हालांकि कोरोना के चलते इस बार रामलीला का आयोजन नहीं हुआ, देखिए इस पर विष्णु त्रिपाठी क्या कहते हैं...

विष्णु त्रिपाठी से बातचीत.
विष्णु त्रिपाठी से बातचीत.

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Published : Oct 25, 2020, 2:03 PM IST

लखनऊ :राजधानी के रहने वाले विष्णु त्रिपाठी पिछले 42 सालों से चौक के श्री पब्लिक बाल रामलीला समिति में रावण का शानदार अभिनय करते आ रहे हैं. उनके अभिनय के चलते ही यह रामलीला पूरे प्रदेश में मशहूर है. इस रामलीला में रावण के अभिनय को देखने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं. लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते रामलीला का आयोजन नहीं किया गया. इस बात का मलाल 'रावण' को भी है.

लंकेश नाम से मशहूर हैं विष्णु त्रिपाठी

रामायण के राम और रावण को पूरी दुनिया उनके चरित्र के चलते ही जानती है. रावण की छवि सीता का अपहरण करने के कारण समाज में नकारात्मक रही. सदियों से चली आ रही रामलीला में भी आज भी लोग राम और रावण का अभिनय देखने जाते हैं. लखनऊ चौक के श्री पब्लिक बाल रामलीला समिति का आयोजन 82 सालों से हो रहा है. लेकिन इस रामलीला की ख्याति रावण के कारण दूर-दूर तक है. इस रामलीला में विष्णु त्रिपाठी पिछले 42 सालों से रावण का अभिनय कर रहे हैं. उनके अभिनय के चलते ही राजधानी के लोग उन्हें लंकेेश के नाम से जानते हैं.

विष्णु त्रिपाठी से बातचीत.

राज्यपाल ने दी है लंकेश की उपाधि

चौक के श्री पब्लिक बाल रामलीला समिति के प्रसिद्ध कलाकार विष्णु त्रिपाठी सन् 1978 से रावण का किरदार निभाते आ रहे हैं. उनके शानदार अभिनय के चलते साल 2003 में राज्यपाल महामहिम विष्णु कांत त्रिपाठी ने उन्हें लंकेश की उपाधि प्रदान की. उपाधि मिलने के बाद भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी भी उन्हें लंकेश कहकर ही पुकारते थे.

दशहरे के दिन लंकेश करता है रावण की पूजा

लंकेश यानी विष्णु त्रिपाठी रावण के एक बहुत बड़े पुजारी हैं. चौक की रानी कटरा में रावण का मंदिर है, जिसमें रावण का दरबार लगता है. विष्णु त्रिपाठी बताते हैं कि हर बार दशहरे के दिन वे पूजा करने के लिए मंदिर जाते हैं. वह एकमात्र शख्स ऐसे हैं जो दशहरे के दिन राम की नहीं, बल्कि रावण की पूजा करते हैं. वह रावण को बुरा आदमी नहीं मानते हैं. रावण बहुत बड़े विद्वान के साथ-साथ भगवान शंकर का भक्त भी था. वह तो भगवान विष्णु की रची हुई लीला थी जिसके चलते रावण को सीता का अपहरण करना पड़ा, फिर भगवान राम ने उनका वध किया.

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