लखनऊः लोहिया संस्थान में मरीजों द्वारा जमा किए गए लाखों रुपए गायब हो गए. वहीं, मामले को लेकर अफसर मौन रहे. शनिवार को मामले का खुलासा हुआ. इसके बाद शासन ने रिपोर्ट तलब की. शाम को संस्थान के व्हाट्सएप ग्रुप चार आउट सोर्सिंग कर्मी और एजेंसी के खिलाफ एफआईआर पत्र भेजा. उसके बाद उसे डिलीट कर दिया गया.
लोहिया संस्थान में ओपीडी, भर्ती, दवा और जांच के लिए मरीजों को शुल्क जमा करना पड़ता है. इसके लिए हॉस्पिटल इंफॉर्मेशन सिस्टम (एचआईएस) व्यवस्था लागू है. इसमें मरीज व उनके तीमारदार नगद व ऑनलाइन फीस , कार्ड के माध्यम से जमा कर सकते हैं. हर माह करीब दो करोड़ रुपये से अधिक जमा किए जाते हैं. वहीं, जो नगद शुल्क जमा होता है वह पैसा संस्थान के बैंक खाते में नियमित रूप से जमा जमा होता है.
जमा की गई ऑनलाइन फीस संस्थान के बैंक खाते तक नहीं पहुंची. अकाउंट डिपार्टमेंट ने मामले की शिकायत करने पर संस्थान के अफसर जागे. बैंक से हफ्ते का ब्यौरा मिलान किया गया, जिसमें संस्थान और बैंक खाते में जमा रकम में भारी अंतर मिला. घपले की तह तक पहुंचने के लिए अधिकारियों ने दोनों विधियों से जमा होने वाले पैसे की पड़ताल शुरू की. जांच करने पर बड़ी संख्या में ऑनलाइन जमा किया गया पैसा बैंक में नहीं मिला.
ऐसे में संस्थान की पूरी ऑनलाइन व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है. शनिवार को शासन ने मामले को रिपोर्ट तलब की. वहीं शाम को व्हाट्सएप ग्रुप पर जारी पत्र में चार कर्मियों की आईडी से कार्ड स्वैप की पुष्टि का दावा किया गया. पत्र में सीएमएस डॉ. राजन भटनागर ने चारों आउट सोर्सिंग कर्मियों को नौकरी से निकालने और एफआईआर दर्ज कराने की बात कही है.