लखनऊ: देश का बजट एक फरवरी को आएगा. देश भर की निगाहें बजट की तरफ हैं. लोगों की बजट से तमाम अपेक्षाएं हैं. बजट कैसा हो सकता है. तमाम सवालों और अनुमानों पर अर्थशास्त्री प्रोफेसर यशवीर त्यागी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में वित्त मंत्री के सामने जितनी बड़ी चुनौती है, इससे पहले कभी किसी भी वित्त मंत्री के सामने नहीं रहीं. इसलिए तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए वित्त मंत्री शनिवार को बजट पेश करेंगी. देखना होगा कि बजट जनता की अपेक्षाओं पर कितना खरा उतरता है.
अर्थव्यस्था के लिए चुनौती भरा समय
प्रोफेसर यशवीर त्यागी ने कहा कि देश में अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती भरा समय है. कुछ लोगों का यह भी मत है कि पिछले कई दशकों में किसी भी वित्त मंत्री के सामने इतनी बड़ी कठिनाई उपस्थित नहीं हुई है, जितनी आज है. क्योंकि हम सब जानते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था में सुस्ती है. मंदी की आहट है. तकनीकी रूप से भले ही न कहें कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती है, लेकिन आर्थिक मंदी के असर दिखाई दे रहे हैं. जो आर्थिक संकेतक आए हैं, उनसे लगता है कि देश की आर्थिक व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है. संतोषजनक नहीं है.
अर्थव्यवस्था निवेश और मांग का अच्छा चक्र स्थापित हो
प्रोफेसर त्यागी कहते हैं कि बजट का जहां तक सवाल है, मुझे लगता है कि वित्त मंत्री इस प्रकार के उपायों की घोषणा जरूर करेंगी, जिससे अर्थव्यवस्था में निवेश और मांग का अच्छा चक्र फिर से स्थापित हो सके. ताकि निवेश भी बढ़ जाए. उपभोग भी बढ़ जाए. उसके लिए आवश्यक है कि लोगों के हाथ में और व्यापारियों के हाथ में अधिक पैसा हो.
आयकर में लोगों को मिल सकती है छूट
उन्होंने कहा कि एक अपेक्षा तो वित्त मंत्री से सबकी यहां है कि व्यक्तिगत आयकर में छूट दी जाएगी. वह स्लैब में परिवर्तन करके दिया जा सकता है. न्यूनतम लिमिट को बढ़ाया जा सकता है. आमदनी में बचत के जो प्रावधान किए जाते हैं, टैक्स में छूट मिलने की प्रक्रिया में परिवर्तन किया जा सकता है.
प्रोफेसर त्यागी ने कहा कि व्यक्तिगत आयकर में जरूर सुविधा दी जाएगी. इससे स्वाभाविक है कि मध्यम वर्ग खुश होगा. उसकी क्रय शक्ति बढ़ेगी तो उम्मीद की जा सकती है कि बाजार में मांग भी बढ़ेगी. दूसरी ओर सरकार यह भी चाहेगी कि निवेश बढ़े. निवेश बढ़ने के लिए सरकार ने पहले भी कुछ उपाय किए हैं. कारपोरेट कर में छूट दी है. बैंकों को कर्ज देने की क्षमता का विकास किया है तो सरकार इस दिशा में कुछ उद्योगों को चिन्हित कर सकती है.