लखनऊः आज पूरी दुनिया में साइकिल दिवस मनाया जा रहा है. पहली बार 3 जून 2018 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व साइकिल दिवस (World Bicycle Day) आधिकारिक रूप से मनाया गया. समय के साथ साथ जहां आधुनिकरण के दौर में लोग खुद को अमीर जताने के लिए यातायात के साधनों को बदल रहे हैं. ऐसे में कभी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार रही साइकिल की महत्ता आज भले ही कम हो लेकिन इसके फायदे आज भी बहुत ज्यादा है. उत्तर प्रदेश के हर गांव में आज भी श्रमिक और किसान सबसे ज्यादा साइकिल का प्रयोग करते हैं. वहीं, बड़ी संख्या में विद्यार्थी भी साइकिल से स्कूल आते-जाते हैं. साइकिल चलाने से स्वास्थ्य ठीक होने के साथ ही पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता है. दूसरी तरफ से हमारे घर की अर्थव्यवस्था भी सही रहती है, क्योंकि मोटरसाइकिल और कार डीजल और पेट्रोल पर निर्भर हैं. लेकिन साइकिल आज भी हमारे पैरों पर निर्भर है. उत्तर प्रदेश में सपा सरकार ने साइकिल को प्रोत्साहित करने के लिए कई शहरों में साइकिल ट्रैक बनवाए और यहां तक कार्यकर्ताओं से लेकर मजदूरों को भी साइकिलें बांटी थी. लेकिन अब दूसरी सरकारें साइकिल से दूरी बना ली हैं.
अर्थव्यवस्था को गति देने में सहायक साइकिल
साइकिल को लेकर अब सोच तेजी से बदल रही है. यूरोप के कुछ देशों में साइकिल का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है. इनमें नीदरलैंड पहले स्थान पर है. अब कई विकसित देश साइकिल की उपयोगिता को समझ चुके हैं. क्योंकि साइकिल चलाने से स्वास्थ्य अच्छा होता है. वहीं, साइकिलिंग अर्थव्यवस्था के लिए भी काफी फायदेमंद है. क्योंकि साइकिल में पेट्रोल का प्रयोग नहीं होता है. वहीं, इससे सड़कों पर रोड एक्सीडेंट भी कम होते हैं.
पैसे की बचत के साथ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक साइकिलिंग
मजदूरी का काम करने वाले धर्मेंद्र कुमार बताते हैं कि वह रोजाना 40 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं. साइकिल के फायदे भी वह खूब गिनाते हैं, क्योंकि साइकिल से वह रोज 20 से 30 रुपये बचा लेते हैं, जो उनके परिवार की बचत के रूप में प्रयोग होता है. इसके साथ-साथ उनकी सेहत भी अच्छी रहती है. सिक्योरिटी गार्ड मेघनाथ यादव बताते हैं कि वह हर रोज 20 से 30 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं. उन्हें 45 साल हो गए साइकिल चलाते हुए. जिसका सबसे बड़ा फायदा यह मिला कि वह बीपी, शुगर और गठिया जैसी बीमारियों से बचे हुए हैं. यहां तक कि कोरोना वायरस संक्रमण से भी बचे हुए हैं.