लखनऊ:छठ पर्व सूर्य की उपासना का त्योहार है. ऐसी मान्यता है कि सूर्यदेव की पूजा करने से व्रत करने वालों को सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन किसी नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ पूजा हिन्दू आस्था का बड़ा पर्व है.उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में छठ पूजा की तैयारी तेजी से की जाने लगी है. कोरोना महमारी के प्रकोप के बीच छठ पूजा 18 नवंबर को नहाए खाए परंपरा के साथ शुरू हो जाएगी. छठ पूजा को लेकर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में घाट बनाने का कार्य जारी है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा करते हैं. इसके अलावा बिहार, झारखंड और कई अन्य राज्यों में भी छठ पूजा को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. इस महापर्व को लेकर लोगों ने घरों में तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन इस बार करोना महामारी को ध्यान में रखते हुए पूरी तरह से सावधानी बरती जाएगी, जिसमें छठ पूजा के दौरान एक जगह पर ज्यादा लोग इकट्ठा न हों. पूजा के स्थान पर सोशल डिस्टेंसिंग का खास ध्यान रखा जाएगा, जिससे कोविड गाइडलाइन का अनुपालन किया जा सके.
18 से 21 नवंबर तक मनेगा छठ महापर्व
छठ महापर्व की मान्यता है कि यह त्योहार पति, संतान और पूरे परिवार की सुख-समृद्धि के लिए चार दिन मनाया जाने वाला महापर्व है, जिसे इस साल 18 नवंबर से लेकर 21 नवंबर तक रीति-रिवाज के साथ मनाया जाएगा. छठ महापर्व की मुख्य पूजा 20 नवंबर को होगी. इसमें डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. साथ ही अगले दिन सुबह यानी 21 नवंबर को उगते हुए सूरज की पूजा कर व्रत तोड़ा जाएगा.
नहाए-खाय की परंपरा
नहाय-खाय से शुरू होने वाले छठ महापर्व के बारे में कहा जाता है कि इसकी शुरुआत महाभारत काल से ही हो गई थी. ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने इस चार दिनों के व्रत को किया था. 18 नवंबर को व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान कर नहाए खाए परंपरा को निभाते हुए लौकी की सब्जी और रोटी खाने के बाद परंपरा को आगे बढ़ाती हैं. 19 नवंबर को महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं और शाम होते ही खीर-रोटी खाकर परंपरा निभाई जाती है.
सूर्य को अर्घ्य