लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव का तापमान बढ़ता जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी जहां राष्ट्रवाद और केंद्र-राज्य सरकारों की उपलब्धियों के सहारे मैदान में है. वहीं कभी राजनीति में एक दूसरे के धुर विरोधी रहे सपा-बसपा गठबंधन ने अपने-अपने वोट बैंक के सहारे बीजेपी को पराजित करने की ठानी है. कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के रूप में अपना ट्रंपकार्ड चल दिया है. उसे उम्मीद है कि पार्टी कोई करिश्मा दोहरा पाएगी.
सवाल: आपकी गठबंधन के पीछे क्या सोच थी? आपको कैसे लगता है कि यह गठबंधन सफल होगा?
जवाब: यह गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश के लिए नहीं है. 2014 में भाजपा उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों में 73 सीट जीतकर सरकार बनाने में सफल रही. अब जनता सरकार बदलना चाहती है. यदि उत्तर प्रदेश से भाजपा हट जाएगी तो समझिए कि उनकी सरकार दोबारा नहीं बनने वाली. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव में नया प्रधानमंत्री चुनने का नारा दिया है. यह गठबंधन जनता की मांग पर हुआ है.
सवाल: क्या आपका गठबंधन भाजपा से राष्ट्रवाद को लेकर चलाए जा रहे प्रचार अभियान से पार पाने में कामयाब होगा?
जवाब: भाजपा के पास आज कोई मुद्दा नहीं. 2014 में जनता ने उन पर विश्वास किया. अब जनता उनसे पूछेगी कि आपने एक भी वादा पूरा क्यों नहीं किया? वह जिस बारे में बोलेंगे वह भाजपा के खिलाफ जाएगा. इसीलिए राष्ट्रवाद का मुद्दा उठा रहे.