उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

केजीएमयू में धरने पर बैठेंगे एचओडी, कर्मियों भी ठप करेंगे कार्य

By

Published : Dec 16, 2021, 10:46 PM IST

शुक्रवार को नर्सिंग, पैरामेडिकल और टेक्नीशियन समेत दूसरे कर्मचारियों ने कामकाज ठप रखने का ऐलान किया है. इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ सकता है. ओपीडी से लेकर भर्ती मरीजों के इलाज में दुश्वारी खड़ी हो सकती है.

केजीएमयू में धरने पर बैठेंगे एचओडी
केजीएमयू में धरने पर बैठेंगे एचओडी

लखनऊ:केजीएमयू के पैथोलॉजी विभाग के अध्यक्ष की दो साल से चिकित्सा प्रतिपूर्ति फंसी हुई है. कई बार चक्कर लगाने पर भी जब समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उन्होंने शुक्रवार को धरने पर बैठने का एलान कर दिया है. उधर, एसजीपीजीआई के समान मानदेय न मिलने पर केजीएमयू के कर्मियों ने काम ठप करने का दावा किया है. केजीएमयू की ओपीडी में रोजाना तीन हजार से अधिक मरीज आ रहे हैं. वहीं 4500 बेडों पर भर्ती होती है.

शुक्रवार को नर्सिंग, पैरामेडिकल और टेक्नीशियन समेत दूसरे कर्मचारियों ने कामकाज ठप रखने का ऐलान किया है. इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ सकता है. ओपीडी से लेकर भर्ती मरीजों के इलाज में दुश्वारी खड़ी हो सकती है. केजीएमयू कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार ने कहा कि केजीएमयू में 2000 से अधिक नियमित पैरामेडिकल स्टाफ हैं और 1500 से अधिक लिपिक और दूसरे संवर्ग के कर्मचारी हैं. सुबह नौ से शाम पांच बजे तक आन्दोलन जारी रहेगा.

दो साल से डॉक्टर को नहीं मिला चिकित्सा प्रतिपूर्ति का भुगतान

पैथोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. यूएस सिंह को 2019 में दिल की बीमारी हुई. 25 नवंबर 2019 को दिल्ली के निजी अस्पताल में ऑपरेशन कराया. डॉ. यूएस सिंह ने इलाज संबंधी बिल प्रतिपूर्ति के लिए मार्च 2020 में लगाएं. मेडिकल बोर्ड ने एक लाख पचास हजार रुपये की प्रतिपूर्ति करने का फैसला किया. आरोप हैं कि 19 माह से अधिक हो गया है. अभी तक भुगतान नहीं किया गया है. डॉ उमा सिंह ने कहा कि बात सिर्फ रुपयों की नहीं है बल्कि बदहाल व्यवस्था की है. इसके खिलाफ आंदोलन होगा.

प्रोस्टेट कैंसर की जांच में बार-बार बायोप्सी से छुटकारा
केजीएमयू के रेडियोलॉजी विभाग के 35 वें स्थापना दिवस मनाया गया. इस दौरान डॉ. हिमांशु दिवाकर ने कहा कि एमआरआई जांच से प्रोस्टेट कैंसर की सटीक पहचान संभव हो गई है. एमआरआई से छोटी से छोटी गांठ का पता लगाया जा सकता है. गांठ कैंसर की है या फिर सामान्य इसका भी अंदाजा लगाना आसान हो गया है. बीमारी होने के बाद ही गांठ की बायोप्सी की जाए. इससे मरीज को बायोप्सी के दर्द से काफी हद तक बचाया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें-तबीयत बिगड़ने पर पूर्व मंत्री अहमद हसन केजीएमयू में भर्ती, देखने पहुंचे सीएम योगी

ABOUT THE AUTHOR

...view details