लखनऊ : केजीएमयू के कैंसर सर्जरी विभाग के डॉक्टरों की टीम ने एक 60 वर्षीय वृद्ध के आहार नली के कैंसर का सफल ऑपरेशन किया. बुजुर्ग को काफी समय से ठोस आहार लेने में दिक्कत हो रही थी. चिकित्सकीय जांच के बाद पता चला कि उन्हें आहार नली (esophagus) का कैंसर है. कैंसर स्टेज थ्री में था, इसलिए कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी के जरिए पहले गांठ को छोटा किया गया. इसके बाद अक्टूबर में ऑपरेशन के लिए केजीएमयू के कैंसर सर्जरी विभाग में रेफर किया गया था.
कैंसर सर्जरी विभाग (cancer surgery department) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिव राजन (Associate Professor Dr. Shiv Rajan) ने मरीज की रिपोर्ट देखने के बाद उन्हें दूरबीन विधि से ऑपरेशन की सलाह दी. इसके बाद विभागाध्यक्ष प्रो विजय कुमार और पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो अरुण चतुर्वेदी के साथ ऑपरेशन की जटिलताओं पर चर्चा और ऑपरेशन का निर्णय लिया. इस ऑपरेशन में छाती को 15 से 20 cm के चीरे से खोलना पड़ता है या दूरबीन के द्वारा छाती में 4 से 5 छेद किए जाते हैं. छाती में गैस भरी जाती है और आहार नली निकालने के लिए किसी एक छेद को लगभग 5 cm बड़ा किया जाता है.
डॉक्टर शिव राजन का दावा है कि देश में पहली बार केवल 4 cm के एक ही छेद से दूरबीन द्वारा ऑपरेशन को सफलतापूर्वक किया गया है. इसमें न ही गैस का प्रयोग किया गया और न ही छेद बड़ा किया गया. ऑपरेशन में 6 घंटे लगे. ऑपरेशन में निश्चेतन विभाग के प्रो. डॉ अजय चौधरी, डॉ रोहित, डॉ अंकुर चौहान तथा डॉ शाश्वत तिवारी रहे, सिस्टर कृष्णा एवं स्टाफ अमित ने सहयोग किया. एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिव राजन ने बताया कि अब मरीज पूरी तरह से मुंह से खाने लगा है. 10वें दिन अस्पताल से छुट्टी होकर वह अपने घर चला गया है.
दूरबीन द्वारा छाती में एक छेद कर के गर्दन में खाने के रास्ते को जोड़कर ऑपरेशन भी पहली बार डॉ. शिव राजन ने 2014 में केजीएमयू में किया था. इस निधि से किए गए ऑपरेशन का विवरण डॉ शिव राजन ने टोक्यो और जापान में संपन विश्वस्तरीय 'Conference of diseases of Esophagus' में करके केजीएमयू का नाम ऊंचा किया. पहली बार भारत में इस ऑपरेशन में खाने के रास्ते को दूरबीन द्वारा छाती में ही जोड़ दिया गया. इस जटिल सफल सर्जरी को लेकर केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी ने डॉ. शिवराजन की प्रशंसा की और पूर टीम को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीं.
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