विकृत अंगों और जन्मजात विसंगतियों को संवार रहा लखनऊ का केजीएमयू, मरीजों ने कही यह बात लखनऊ : कई बार ऐसा होता है कि बच्चा जब पैदा होता है तो शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है. इस स्थिति में कुछ बच्चों को जीवनभर उसी विसंगति के साथ रहना पड़ता है. वहीं जन्मजात विसंगतियों या दुर्घटना में हुए क्षतिग्रस्त अंग भी जीवन में निराशा भर देते हैं. ऐसे में लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) का प्लास्टिक सर्जरी विभाग गौरवपूर्ण जीवन की राह दिखाता है. प्लास्टिक सर्जरी के जरिए यह विभाग लोगों को नई जिंदगी देने का काम कर रहा है.
विकृत अंगों और जन्मजात विसंगतियों को संवार रहा लखनऊ का केजीएमयू अंबेडकरनगर की रहने वाली युवती (25) मंगलवार को प्लास्टिक सर्जरी विभाग में इलाज के लिए पहुंची. युवती ने बताया कि वह प्लास्टिक सर्जरी विभाग में ब्रेस्ट इंप्लांट्स के लिए आई हैं. बचपन से ही एक ब्रेस्ट नहीं है. बड़े होने पर परेशानी का एहसास हुआ. इसके बाद इलाज के लिए केजीएमयू के विशेषज्ञ डाॅक्टर से संपर्क किया तो उन्होंने ब्रेस्ट इंप्लांट का सुझाव दिया. डॉक्टरों का कहना है कि इंप्लांट होने के 20 से 25 दिन में यह एकदम नॉर्मल हो जाएगा.
चंडीगढ़ से आए अजमल हुसैन ने बताया कि साले का एक हाथ शून्य हो गया है. हाथ में कुछ महसूस नहीं होता है. जिसका इलाज कराने के लिए वह केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में आए हैं. उन्होंने कहा कि यहां पर अच्छा इलाज होता है और डॉक्टरों का व्यवहार काफी अच्छा है, अच्छे से देखते हैं. यहां पर इलाज समझ में आ रहा है. इसके पहले कई जगह दिखाया, लेकिन अच्छा ट्रीटमेंट नहीं मिला. पहली बार यहां आए हैं, लेकिन यहां पर अच्छा एक्सपीरियंस रहा.
विकृत अंगों और जन्मजात विसंगतियों को संवार रहा लखनऊ का केजीएमयू अकबरपुर से केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में पहुंचे शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि बुधवार को अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे हैं. यहां पर भीड़ ज्यादा है, लेकिन डॉक्टर अच्छे से देख रहे हैं. दरअसल हाथ में कोई मूवमेंट्स नहीं हो रहा है. यही दिखाने के लिए अस्पताल में आए हुए हैं. सुबह 8 बजे आ गए थे, पर्चा बनवाया है उसके बाद अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. इससे पहले भी कई बार आ चुके हैं और पांच बार पहले भी सर्जरी हो चुकी है, लेकिन अभी तक ठीक नहीं हो पाया है. शायद आगे भी सर्जरी करने की स्थिति बन सकती है. जैसा होगा विशेषज्ञ बताएंगे उसके अनुसार ही इलाज होगा.
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉ. बृजेश मिश्रा ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रोजाना 150 से 200 मरीज आते हैं. बहुत सारे ऐसे मरीज आते हैं जो किसी तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं. किसी में कोई विसंगति हो गई है या कोई जन्मजात की संगति है तो उसे दूर करने का काम प्लास्टिक सर्जरी विभाग करता है. वैसे तो सर्जरी दो प्रकार की होती है. यहां जो भी मरीज आते हैं वह काफी थक हार चुके होते हैं, लेकिन यहां सफलतापूर्वक प्लास्टिक सर्जरी होने से मरीज खुश हो जाते हैं. उन्हें एक नया जीवन मिल जाता है.
उन्होंने बताया कि बुधवार को अस्पताल में एक ऐसा मामला आया. दुर्घटना के दौरान लड़के के उल्टे हाथ की चार उंगलियां कट गई हैं. इसमें पैर की एक अंगुली को काटकर हाथ में जोड़ेंगे और सर्जरी कर उसे बाकी नसों से जोड़ देंगे. सर्जरी के बाद इतना हो सकेगा कि लड़का बाइक चलाने के साथ कई काम कर सकेगा. केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में सिर्फ लखनऊ से ही नहीं बल्कि दूसरे जिलों एवं राज्यों से भी मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. ओपीडी में कॉस्मेटिक सर्जरी के लिए भी मरीज आते हैं.
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