लखनऊ: राजधानी के कन्वेंशन सेंटर में शनिवार को केजीएमयू का 17वां दीक्षांत समारोह मनाया गया. एमबीबीएस में छात्र अहमद उजैर ने टॉप किया, जबकि सर्वाधिक मेडल छात्राओं की झोली में गए. इस दौरान कुलपति ने वार्षिक रिपोर्ट भी पेश की. इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. कार्यक्रम में मुख्यअतिथि चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना मौजूद रहे. मंत्री सुरेश खन्ना ने छात्र-छात्राओं को मेडल व प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया.
दीक्षांत समारोह में 42 मेधावियों को गोल्ड, ब्रांज और सिल्वर मेडल दिए गए. इसमें 24 छात्राएं और 18 छात्रों ने मेडल हासिल किया. वहीं रविवार को विश्वविद्यालय का 117वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा. इसमें 57 छात्र-छात्राओं को कुल 90 मेडल दिए जाएंगे. इसमें 19 छात्र तो 38 छात्राएं शामिल हैं. दोनों समारोहों में कुल 154 मेडल मेधावियों को दिए जाएंगे.
एमबीबीएस में टॉपर रहे अहमद उजैर ने केजीएमयू के सबसे प्रतिष्ठित चांसलर, हीवेट और यूनिवर्सिटी तीनों मेडल पर कब्जा जमाया. कई साल बाद तीनों मेडल एक ही मेधावी के खाते में गए. उजैर को सबसे ज्यादा 13 गोल्ड मेडल मिले. इसके साथ ही एक सिल्वर और एक बुक प्राइज भी मिला. वहीं एमबीबीएस में शिवम सिंह दूसरे नंबर पर रहे. इन्हें चार गोल्ड और एक सिल्वर मेडल मिला.
वहीं एमबीबीएस में तीसरे नंबर पर छात्रा आकांक्षा सिंह रहीं. आकांक्षा सिंह को एक गोल्ड मेडल मिला.इसके अलावा केजीएमयू में हर साल चिकित्सा क्षेत्र की शख्सियत को डीएससी की उपाधि दी जाती है. इस बार डीएससी की उपाधि विश्व स्वास्थ संगठन की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन को दी गई है.
दीक्षांत समारोह के मौके पर कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि बेटियां पढ़ाई में अव्वल हो रही हैं, नारी शक्ति आगे बढ़ रही है. 80 फीसदी मेडल पर बेटियों ने कब्जा किया है. बेटे क्यों पिछड़ रहे हैं, विशेषज्ञ इसके कारण तलाशें. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केजीएमयू के डॉक्टर देश-दुनिया में छाए हुए हैं. अमेरिका में तो हर सातवां डॉक्टर भारतीय है.
इस दौरान राज्यपाल ने केजीएमयू जार्जियन का पोर्टल बनाने की जरूरत बताई. ताकि देश भर के डॉक्टर उससे जुड़ सकें. डॉक्टर उसमें नई तकनीक साझा करें, जिससे मरीजों को सस्ता इलाज मिल सके. राज्यपाल ने कहा कि रोबोट सर्जरी और ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. इसका इस्तेमाल बढ़ाने की जरूरत है. नई तकनीक मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने में अधिक कारगर साबित हो सकती है.