लखनऊ: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan ) ने सोमवार को फतवा जारी करने वालों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि फतवा जारी करने वाले खुद वह काम नहीं करते, दूसरों से करवाते हैं. हम पढ़े नहीं है इसलिए जो तारीखी शऊर पैदा होना चाहिए था वह है ही नहीं.
उन्होंने कहा कि एक ही चीज जो जानवर और इंसान में फर्क करती है वह इंसान का तारीखी शऊर होता है. इसके बिना वह इंसान कहलाने का हकदार नहीं है. तारीखी शऊर जब होता है, वह इंसान पुरानी गलतियों को दोहराता नहीं है. उनसे सबक लेता है.
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान सोमवार को लखनऊ के कैफी आजमी अकादमी (Kaifi Azmi Academy) में पद्मभूषण डॉक्टर कल्बे सादिक (Padma Bhushan Dr Kalbe Sadiq) की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने दर्सगाहों में दी जाने वाली तालीम पर भी सवाल खड़े किए.
उन्होंने कहा कि अगर कोई ऐसा कर दे तो हमें कानून हाथ में लेने का हक है और हम उसकी गर्दन काट सकते हैं. यह सब कहां पढ़ाया जाता है, यह सबको पता है. उन्होंने पाकिस्तान की एक लेखक का जिक्र करते हुए कहा कि इस लेखक ने कहा है कि आतंकवाद तब तक खत्म नहीं हो सकता, जब तक दर्सगाहों में यह पढ़ाया जाना बंद नहीं होगा.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने डॉक्टर कल्बे सादिक का जिक्र करते हुए कहा कि वह हमेशा से शिक्षा के पक्षधर रहे. शिक्षा से ही बदलाव लाया जा सकता है. उनकी किताबों में इसका जिक्र आपको साफ तौर पर मिलेगा.
'पद्मभूषण स्वर्गीय डॉ. कल्बे सादिक को लोगों ने फखे मिल्लत, अलमदारे इत्तेहाद और न जाने कितने खिताब दिये. डॉ. कल्बे सादिक को फखे मिल्लत कहना इंसाफ नहीं है. वे फखे हिन्दुस्तान हैं. डॉ. कल्बे सादिक को सच्ची श्रद्धांजलि कार्यक्रमों में फूल और गुलदस्ता देने के बजाए कलम और नोटबुक देकर दी जा सकती है.
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मुख्य अतिथि आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि कुरान में इल्म हासिल करने का जरिया कलम बताया गया है तो जिस चीज को याद करना है उसे रटने के बजाए लिख लें. उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले में अगर डॉ. कल्बे सादिक की बात मानी जाती तो मुल्क में अमन-चैन बना रहता.