लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या पर कन्वेंशन सेंटर में काव्या संध्या का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में अटलजी को श्रद्धांजलि देने के लिए कुमार विश्वास भी शामिल हुए. इस अवहर पर उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी व लाल जी टण्डन को लखनऊ का प्रतिबिम्ब बताया. साथ कल्बे सादिक को भी याद किया.
अटल जयंती की पूर्व संध्या में काव्य संध्या का आयोजन, कुमार विश्वास ने बांधा समां - कुमार विश्वास
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या पर कन्वेंशन सेंटर में काव्या संध्या का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम का शुभारम्भ सीएम योगी ने अटलजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के साथ किया. इस कार्यक्रम में अटलजी को श्रद्धांजलि देने के लिए कुमार विश्वास भी शामिल हुए.
सीएम योगी ने सुनी अटल कविताएं
काव्या संध्या में कुमार विश्वास ने अटल बिहारी वाजपेयी की बातें और उनकी कविताओ से वहां मौजूद लोगों में जोश भरने का काम किया. कुमार विश्वास ने मंच से अटल जी के जीवन से जुड़े कई संस्मरणों को साझा किया. इसके साथ ही उन्होंने अपने अंदाज में नेताओं पर चुटकियां ली और समारोह में गुदगुदी पैदा करते रहे. कुमार विश्वास के चुटकुलों से काव्या संध्या कार्यक्रम में तालियां और ठहाकों की गूंज रही.
इन कविताओं ने बांधा समा
इस कार्यक्रम का शुभारम्भ सीएम योगी ने अटलजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के साथ किया. मंच से कुमार विश्वास ने अटल जी के जीवन से जुड़ी कई कविताओं को गाकर काव्या संध्या में आए अटल प्रेमियों में उनकी यादों को ताजा कर दिया. इस दौरान उन्होंने 'गोमती का मचलता ये पानी भी है, कुछ अटल जी की वाजिब जवानी भी है' का पाठ किया. इसके बाद कलेजे में जलन, आंखों में पानी छोड़ जाती हो, मगर उम्मीद की चुनर को धानी छोड़ जाती हो' जैसे गीत गाए.