लखनऊ:उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का शनिवार को निधन हो गया. वो लंबे समय से बीमार थे और लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत भारतीय जनता पार्टी और दूसरे दलों के कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जाहिर किया है. सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक और 23 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश का एलान किया है. कल्याण सिंह ने 89 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली.
फर्रुखाबाद से गहरा नेता
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का फर्रुखाबाद जिले से गहरा लगाव था. वह कई बार जिले में आए. वर्ष 1998 के अंत में जब वह बीजेपी से अलग हुए तो उन्होंने साल 1999 में पूरी दमदारी के साथ राष्ट्रीय क्रांति पार्टी खड़ी कर दी थी. यही कारण रहा कि उन्होंने अपने एक इकलौते पुत्र एटा के सांसद राजवीर सिंह राजू का विवाह भी फर्रुखाबाद के मन्नीगंज में किया था. यहां वह अक्सर आते जाते रहते थे. फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत पर उनका अपार स्नेह बरसता रहा है.
फर्रुखाबाद में कल्याण सिंह. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का वह समय काफी चुनौती भरा था. जब उनके कार्यकाल के दौरान जो लोग उनके आसपास हुआ करते थे. उनमें से कई लोगों ने उनसे किनारा कर लिया था. तब जिले के सांसद मुकेश राजपूत पूरी दमदारी के साथ कल्याण सिंह के साथ खड़े हुए थे.
कल्याण सिंह ने यहां अशोक कटियार को राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का जिला अध्यक्ष बनाया गया था. जबकि महामंत्री की जिम्मेदारी अशोक कुमार को दी गई थी. पूरी दमदारी के साथ मुकेश राजपूत की देखरेख में जिले में पार्टी मजबूती से खड़ी की गई थी. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां आकर रैली में अपनी ताकत का एहसास भी करा दिया था. वर्ष 2012 में जिले की चारों सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली पार्टी से चुनाव लड़ा गया था इसमें अच्छे परिणाम निकल कर सामने आए थे. उस समय विरोधी दलों का गणित भी बिगड़ गया था.
बाबू कल्याण सिंह ने अपने पुत्र राजवीर सिंह राजू की शादी मनी का निवासी रोडवेज बस परिचालक प्रकाश चंद वर्मा की पुत्री प्रेमलता वर्मा के साथ की थी. उन दिनों कल्याण सिंह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे. इस रिश्ते के अलावा फर्रुखाबाद के कई नेताओं से भी उनके करीबी रिश्ते रहे हैं. यही कारण है कि पूर्व सीएम कल्याण सिंह का फर्रुखाबाद से विशेष लगाव रहा है.
कल्याण सिंह मेरठ को बताते थे अपना दूसरा घर
पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का मेरठ से अटूट नाता रहा है. उस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश का केंद्र मेरठ हुआ करता था. कल्याण सिंह 'बाबूजी' मेरठ को अपना दूसरा घर बताते थे. उनकी याददाश्त इतनी मजबूत थी कि मेरठ के हजारों लोगों के नाम उनकी जुबान पर मौजूद रहता था.
मेरठ के कार्यक्रम में कल्याण सिंह. बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेई को तो उन्होंने अपना शिष्य बना लिया था. इसके अलावा पूर्व विधायक अमित अग्रवाल सांसद राजेंद्र अग्रवाल पूर्व मंत्री शकुंतला कौशिक करुणेश नंदन गर्ग से भी उनका गहरा नाता था.
बीजेपी नेताओं की मानें तो 1974 के बाद से कल्याण सिंह का मेरठ से लगातार आना जाना रहा. 1977 में जनता पार्टी के शासन में और उसके बाद भाजपा के गठन के बाद से तो उनका दूसरा घर मेरठ और बुलंदशहर कहां जाने लगा. कल्याण सिंह खुद मेरठ को अपना दूसरा घर बताते थे वे कहते थे कि अपने घर में आने के लिए कोई निमंत्रण थोड़ी चाहिए. पूर्व विधायक अमित अग्रवाल ने अपनी यादें ताजा करते हुए बताया कि वह (कल्याण सिंह) ऐसे मुख्यमंत्री थे कि जेब में ₹50 भी नहीं होते थे. फ्रिज में फल के नाम पर दो केले, लेकिन याददाश्त के बहुत पक्के थे.
इसके अलावा कल्याण सिंह ने मेरठ में 1 दिन में 13 रैलियों का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था. बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष बृज गोपाल गुप्ता ने बताया कि 1985 का समय था. वह जिला अध्यक्ष के तक कल्याण सिंह और अटल बिहारी वाजपेई मेरठ दौरे पर आए थे एक एक कर 13 सभाएं करके लगातार जनता को संबोधित किया था.
गोरक्षपीठ से भी था कल्याण सिंह का आत्मीय जुड़ाव, महंत अवेद्यनाथ के थे अति प्रिय
यूपी से लेकर पूरे देश में बीजेपी की एक अलग पहचान बनाने और राम मंदिर के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगाने वाले राजस्थान के पूर्व राज्यपाल, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मंदिर गोरक्षपीठ से भी गहरा आत्मीय जुड़ाव था. अयोध्या में श्रीराम मंदिर आंदोलन के अगुआ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ उनके प्रति विशेष स्नेह रखते थे. ब्रह्मलीन महंत की तरह ही कल्याण सिंह श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण को अपने जीवन का मिशन मानने थे. उनके इस मिशन को गोरक्षपीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में मौजूदा समय में पूरा भी किया जा रहा है.
गोरक्षपीठ से भी था कल्याण सिंह का आत्मीय जुड़ाव. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के दौरान कल्याण सिंह गोरक्षपीठ के और निकट आ गए. मंदिर आंदोलन की रूपरेखा पर तत्कालीन पीठाधीश्वर अवेद्यनाथ के साथ प्रायः उनकी मंत्रणा होती रहती थी. गोरक्षपीठ के बुलावे पर कल्याण सिंह पीठ के अधीन संचालित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह के पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे. 10 दिसंबर 2013 को एमपी इंटर कालेज के मैदान पर आयोजित कार्यक्रम में कल्याण सिंह ने परिषद की तरफ से दी जा रही राष्ट्रवादी विचारधारा की शिक्षा की मुक्तकंठ से सराहना की थी. उन्होंने कहा था कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के पुनीत कार्य से देश के भविष्य को लेकर एक नई आशा का संचार हो रहा है.
कल्याण सिंह के बेहद करीब रहे बीजेपी पंचायत प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक रमेश सिंह बताते हैं कि कल्याण सिंह की गोरक्षपीठ और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के प्रति गहरी आस्था थी. वर्ष 2006 में वह रमेश सिंह के भाई के शादी समारोह में आए थे. जैसे ही उन्हें पता चला कि महंत अवेद्यनाथ की तबियत खराब है. वह फौरन उनका कुशलक्षेम जानने गोरखनाथ मंदिर पहुंच गए. गोरखपुर में उनका आगमन जनवरी 2014 में खाद कारखाना परिसर में हुई बीजेपी की महारैली में भी हुआ था. उस वक्त भी उन्होंने तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ से आशीर्वाद लिया था.
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