लखनऊः अपर मुख्य सचिव, सूचना नवनीत सहगल ने मंगलवार को यहां बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा पत्रकारों की मदद के लिए "पत्रकार कल्याण योजना" संचालित की जा रही है. योजना की पात्रता के लिए पत्रकार का भारत का नागरिक होना आवश्यक है. साथ ही, उन्हें भारत सरकार अथवा किसी राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाहिए. यदि मान्यता प्राप्त नहीं है तथा वे प्रिन्ट/इलेक्ट्राॅनिक अथवा वेब आधारित सेवाओं से कम से कम पिछले पांच वर्षों से जुड़े हैं तो भी वे इस योजना के दायरे में आएंगे. इसके लिए यूपी सरकार ने एक नोडल अधिकारी भी नामित किया है.
आश्रित को पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद
पत्रकार की मृृत्यु होने की दशा में इस योजना के अन्तर्गत आश्रितों को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्राविधान है. स्थाई दिव्यांगता के मामले में पत्रकार को पांच लाख रुपये का प्रावधान है. कैंसर, रीनल फेल्योर, बाई पास/ओपेन हार्ट सर्जरी/एंजियोप्लास्टी, ब्रेन हैमरेज और लकवाग्रस्त होने जैसी गम्भीर बीमारी की दशा में तीन लाख रुपये तथा किसी गम्भीर दुर्घटना के कारण उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती होने पर दो लाख रुपये देने का प्रावधान किया गया है.
गैर मान्यता प्राप्त पत्रकार को 65 वर्ष की आयु तक लाभ
स्थाई दिव्यांगता अथवा कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से ग्रसित होने पर या फिर किसी गम्भीर दुर्घटना के कारण उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती होने की दशा में गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकार को पांच वर्ष का अनुभव होने पर एक लाख रुपये का लाभ दिया जाएगा. उसके बाद अगले प्रत्येक अतिरिक्त पांच वर्षों के लिए एक-एक लाख रुपये की मदद प्रदान किए जाने की व्यवस्था भी इस योजना में है. गम्भीर बीमारियों के इलाज के मामले में गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकार को यह सुविधा 65 वर्ष की आयु तक ही मान्य होगी.
प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब पत्रकार शामिल
अपर मुख्य सचिव, सूचना ने बताया कि पत्रकारों की जो परिभाषा 'वर्किंग जर्नलिस्टस एण्ड अदर न्यूज पेपर इम्पलाई कंडीशंस ऑफ सर्विस एण्ड मिसलेनियस प्रोविजन्स एक्ट 1955' में श्रमजीवी पत्रकारों के लिए दी गई है. वही इस सहायता के लिए मान्य होगी. सभी पत्रकार जो प्रिंट मीडिया/इलेक्ट्राॅनिक मीडिया या वेब आधारित सेवाओं से जुडे हैं. वे इस योजना के लिए पात्र माने जाएंगे.
स्वतंत्र पत्रकार को भी मिलेगा लाभ
फ्री लांस पत्रकार भी इस योजना के दायरे में आएंगे, लेकिन जो प्रबंधक की हैसियत से कार्य कर रहे हैं. वह इसके दायरे में नहीं आएंगे. पत्रकारों के परिजन भी इस योजना के दायरे में आएंगे. परिजन का अर्थ पति अथवा पत्नी, आश्रित माता-पिता अथवा आश्रित संतानों से होगा.
पीआईबी की वेबसाइट अथवा देश के किसी भी कार्यालय में आवेदन
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि सहायता के इच्छुक पत्रकार पीआईबी की वेबसाइट से अथवा देश में स्थित पीआईबी के किसी भी कार्यालय से आवेदन प्राप्त कर सकते हैं. भरे हुए आवेदन पत्र को पीआईबी के संबंधित कार्यालय में जमा कराना होगा. पीआईबी अधिकारी मामले की जांच पड़ताल के बाद इसे मुख्यालय नई दिल्ली रिपोर्ट के साथ भेजेगा.
यूपी सरकार ने त्रिलोकी राम को बनाया नोडल अधिकारी
समिति द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सहायता राशि की स्वीकृति दी जाती है. केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री इस समिति के संरक्षक तथा सूचना और प्रसारण सचिव अध्यक्ष हैं. सहायता राशि के लिए पत्रकारों को इलाज से जुड़े सभी रसीदों को मूल रूप में संबंधित अस्पतालों के प्रबंधन/मुख्य चिकित्सा अधिकारी से प्रमाणित कराकर ही जमा करना होगा. उन्होंने यह जानकारी भी दी कि प्रदेश में इस योजना के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक समन्वय के लिए उपनिदेशक प्रेस, सूचना निदेशालय त्रिलोकी राम जिनका नम्बर 9453005348 है, को नोडल अधिकारी नामित करने के निर्देश दिए गए हैं.