लखनऊ:राजधानी में मंडी प्रभारियों और मंडी समिति की मिलीभगत से पैसे का गबन करने का खेल जोरों-शोरों से चल रहा है. पैसे के लिए मंडी के विभागीय लोग कुछ भी करने से पीछे नहीं हटते हैं. दुबग्गा सब्जी मंडी में मंडी प्रभारी की लापरवाही से मंडी में काम करने वाले आढ़ती के ऊपर फर्जी चेक भर कर गलत तरीके से टैक्स बढ़ा दिया गया. वहीं अब मंडी समिति पैसे वसूलने के नाम पर आढ़ती का उत्पीड़न कर रही है.
जानकारी देता पीड़ित आढ़ती. जानें क्या है पूरा मामला
दुबग्गा सब्जी मंडी में आढ़ती का काम करने वाले कौशलेंद्र सिंह मेसर्स गणपति फ्रूट कंपनी नाम से बनी फर्म में काम करते हैं. कौशलेंद्र 2017 और 2018 में व्यापार के दौरान घाटा होने के कारण टैक्स नहीं भर पाए थे. इसका फायदा उठाते हुए मंडी प्रभारी अमित सिंह ने चार गलत चेक का प्रयोग करते हुए आढ़ती कौशलेंद्र के ऊपर करीब 14 लाख रुपये मंडी समिति के तरफ से वसूली को लेकर 21 सितंबर 2019 को पैसे की मांग की. जब आढ़ती कौशलेंद्र द्वारा मंडी समिति को बताया गया कि मेरे ऊपर कोई कर्ज ऐसा नहीं है, लेकिन फिर भी मंडी सचिव और मंडी के विभागीय लोग पैसे की वसूली की मांग करते रहे और आढ़ती को प्रताड़ित करते रहे.
मंडी समिति की इस मांग से तंग आकर आढ़ती कौशलेंद्र ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. आढ़ती ने 25-09-2019 को फर्जी चेक के माध्यम से मंडी समिति की तरफ से पैसे वसूली को लेकर कोर्ट को जानकारी दी. हाईकोर्ट में रिट याचिका संख्या 20884/2020 में आढ़ती कौशलेंद्र सिंह मैसर्स गणपति फूड कंपनी द्वारा दायर की गई. आढ़ती की याचिका पर सुनवाई करते हुए 17-11-2020 को कोर्ट ने 10 दिन के अंदर मंडी समिति के वसूली अधिकारी की कार्रवाई को स्थगित करने के आदेश दिए.
पीड़ित आढ़ती ने दी जानकारी
आढ़ती कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि मंडी में 2017 और 2018 में व्यापार के दौरान घाटा होने के कारण वह टैक्स नहीं भर पाए थे. इसका फायदा उठाते हुए मंडी प्रभारी ने उनके ऊपर फर्जी चेक लगाकर 14 लाख रुपये की रिकवरी टैक्स के रूप में नोटिस भिजवा दिया, जो पूरी तरह से गलत है. इसको लेकर उन्होंने मंडी समिति और मंडी सचिव को भी जानकारी दी. मामले में मंडी प्रभारी को कुछ दिनों के लिए हटाया भी गया, लेकिन बाद में फिर मंडी में नियुक्त कर दिया गया.
आढ़ती कौशलेंद्र सिंह ने बताया कि इसके बाद से मेरे ऊपर टैक्स जमा करने को लेकर दबाव बनाया जाने लगा और मानसिक उत्पीड़न किया जाने लगा. मंडी समिति के इस रवैये को देखते हुए हमने कोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट ने सारे सबूतों को ध्यान में रखते हुए मंडी समिति को रिकवरी करने को लेकर रोक लगा दी है. इसकी प्रति मुझे कोर्ट के द्वारा मिली, जिसको मैंने मंडी समिति को भेज दिया है. अगर अब मंडी समिति इस पर कुछ निर्णय नहीं निकालती है तो फिर हम दोबारा कोर्ट जाएंगे.