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लखीमपुर खीरी: ईटीवी भारत से बोले आढ़ती, कृषि विधेयक हमारे साथ धोखा - farmer bill 2020

यूपी सहित देश के कई राज्यों में किसान और विपक्ष कृषि संशोधन विधेयक-2020 का विरोध कर रहे हैं. इसी क्रम में लखीमपुर खीरी जिले में ईटीवी भारत ने मंडी में आढ़तियों और व्यापारियों से बात कर इस बिल पर उनकी राय जानी. आढ़तियों और व्यापारियों का कहना है कि यह विधेयक एपीएमसी सिस्टम को तबाह कर देगा. इस विधेयक के आने के बाद से मंडी में माल की आवक ही नहीं होगी.

आढ़तियों और व्यापारियों से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता.
आढ़तियों और व्यापारियों से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता.

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Published : Sep 29, 2020, 3:35 PM IST

लखीमपुर खीरी: कृषि संसोधन विधेयक को लेकर अब खेतिहर किसान और मजदूर ही नहीं आढ़ती भी पसोपेश में हैं. आढ़तियों का कहना है कि कृषि विधेयक एपीएमसी सिस्टम को तबाह कर देगा. ये हमारे साथ धोखा है. कृषि बिल से न केवल किसान बर्बाद होगा बल्कि आढ़तियों और किसानों के वर्षों पुराने रिश्ते दरक जाएंगे और मंडी बदहाल हो जाएगी. सरकार टैक्स के मामले में भी दोहरी नीति अपना रही.

आढ़तियों और व्यापारियों से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता.

लखीमपुर खीरी जिले में ईटीवी भारत ने कृषि बिल को लेकर आढ़तियों से संपर्क किया तो मंडी में खरीद करने वाले आढ़तियों ने अपना दुखड़ा रोया. कृषि व्यापार मंडल के लखीमपुर मंडी के महामंत्री अम्बरीष गुप्ता ने कहा कि सरकार जो मंडी के बाहर टैक्स छूट दे रही और मंडी के अंदर काम करने पर व्यापारियों को ढाई प्रतिशत टैक्स की बात कर रही ये दोहरा मानदण्ड है. जब बाहर टैक्स नहीं होगा तो मंडी में कौन आएगा. ढाई प्रतिशत टैक्स देकर हम मंडी के अंदर के आढ़ती कैसे बाहर वाले आढ़ती से कम्पटीशन कर सकेंगे. ये सरकार का दोहरा कानून है.

मंडी में खरीद करने वाले व्यापारी वेदप्रकाश मिश्रा कहते हैं कि अब माल बाहर से बाहर ही निकल जाएगा. मंडी में आवक ही नहीं होगी तो खरीद बिक्री भी बंद हो जाएगी. इससे मंडी समितियों के अस्तित्व पर भी सवाल उठ रहे हैं.

युवा आढ़ती सुमित अग्रवाल कहते हैं कि मंडी केवल खरीद-बिक्री की जगह नहीं है. हम किसान के सुख-दुख में भी काम आते हैं. कभी किसी किसान की बेटी की शादी, बीमारी में हम ही उसको आर्थिक मदद करते हैं. किसानों से हमारे संबंध घरेलू होते हैं. थोड़ा हम लाभ कमाते तो मंडी में प्रतिस्पर्धा में किसान को भी फायदा होता है.

सुमित अग्रवाल कहते हैं कि अब बाहर किसान के साथ कौन कैसे पेश आएगा. कोई कम्पटीशन नहीं होगा तो मनमाने रेट होंगे. फिर मंडी के अंदर सिर्फ आढ़ती ही नहीं किसान और आढ़ती के साथ हजारों मजदूर, मुनीम और अन्य काम करने वालों की रोजी-रोटी जुड़ी है. मंडी खत्म होगी तो इनकी रोजी-रोटी भी प्रभावित होगी. इनके रोजगार का क्या होगा?

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