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फूलपुर से नीतीश कुमार लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, जातीय समीकरण में फिट तो हैं मगर वोट कैसे मिलेंगे ? - नरेंद्र मोदी बनाम नीतीश कुमार

जेडीयू के नेता नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव में अगर फूलपुर से चुनाव लड़ते हैं (Nitish kumar can contest from phoolpur) तो बीजेपी को मुश्किल होगी. यूपी के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक जेडी यू के दावे को सिरे से खारिज कर रहे हैं. हालांकि नीतीश कुमार फूलपुर के जातीय समीकरण में फिट बैठ सकते हैं, मगर यूपी में जेडी यू का जनाधार नही है. जानिए क्या रहा फूलपुर का चुनावी इतिहास और जेडी यू की प्लानिंग

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Published : Sep 17, 2022, 7:57 PM IST

Updated : Sep 17, 2022, 8:50 PM IST

लखनऊ : बिहार में गठबंधन तोड़ने के बाद जनता दल यूनाइटेड (जेडी-यू) नेता नीतीश कुमार अघोषित तौर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार बने हैं. चूंकि दिल्ली में सत्ता तक पहुंचने के लिए यूपी को जीतना होगा, इसलिए नीतीश कुमार भी यूपी के रास्ते दिल्ली जाने की प्लानिंग कर रहे हैं. जेडी यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lallan singh JDU) ने साफ किया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार 2024 में उत्तर प्रदेश के फूलपुर से चुनाव लड़ सकते हैं (Nitish kumar can contest from phoolpur). यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट कुर्मी बाहुल्य होने के कारण ललन सिंह के दावे को हवा मिली है.

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का बयान.

हालांकि उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (brajesh pathak react on nitish kumar) का कहना है कि ललन सिंह के दावे में दम नहीं है. जेडी यू सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए ऐसी बयानबाजी कर रहा है. फूलपुर से सांसद रहे यूपी के उपमुख्यमंत्री रहे केशव प्रसाद मौर्य (keshav prasad maurya on nitish kumar ) ने उन्नाव के एक कार्यक्रम में कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा है कि बिहार में जब मोदी जी का चेहरा आया तब जनता दल यूनाइटेड ने वहां लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन किया था. जब अब उनके पास मोदी जी का चेहरा नहीं है तो वे उत्तर प्रदेश में लड़ने की बात कर रहे हैं. अब नीतीश कुमार न तो उत्तर प्रदेश में जीतेंगे और ना ही बिहार में.

न तो नीतीश कुमार और न ही उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड का उत्तर प्रदेश में कोई मतलब है. उनका कोई जनाधार नहीं है. जेडी यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के ललन सिंह के बयान पर तो प्रतिक्रिया देना भी ठीक नहीं है. नीतीश कुमार जनता दल यूनाइटेड का उत्तर प्रदेश में आधार की क्या है. यहां उन्हें कोई जीत नहीं मिलने जा रही है. इस तरह की बयानबाजी करके केवल नीतीश कुमार को उनकी पार्टी लाइमलाइट में आना चाहती है. हमारे बोल देने भर से ही वे खबर बन जाते हैं इसके अतिरिक्त मैं और कुछ भी नहीं कह सकता हूं.

- ब्रजेश पाठक, उपमुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश

पिछले दिनों लखनऊ के समाजवादी पार्टी मुख्यालय पर लगे फोटो से इस चर्चा को बल मिला कि यूपी में दोनों के बीच गठबंधन हो सकता है.

जेडी-यू की रणनीतिकारों का मानना है कि फूलपुर से नीतीश कुमार के दावेदारी से उत्तरप्रदेश में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ जाएगी. पटेल कुर्मी बाहुल्य फूलपुर से पूर्वांचल का चुनावी समीकरण बदल सकता है. बता दें कि फूलपुर में अब तक हुए लोकसभा चुनाव और उपचुनाव में 8 बार पटेल कुर्मी कैंडिडेट को जीत मिली है. नीतीश कुमार बिहार में कुर्मी बिरादरी के नेता के तौर पर जाने जाते हैं. जनता दल यूनाइटेड का मानना है कि फूलपुर लोकसभा सीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से महज 100 किलोमीटर की दूरी पर है. ऐसे में यूपी में 2024 के दौरान नरेंद्र मोदी बनाम नीतीश कुमार के टक्कर से यूपी में राजनीतिक पारा चढ़ेगा और इसका फायदा गैर बीजेपी दलों को मिल सकता है.

फूलपुर के जातीय समीकरण

अभी बीजेपी के खाते में है फूलपुर : समाजवादी पार्टी अभी डिप्लोमैटिक बयानबाजी कर रही है. फूलपुर सीट पर समाजवादी पार्टी ने पांच लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की है (Samajwadi party phoolpur). 1996 और 1998 में पार्टी के नेता जंग बहादुर पटेल जीत चुकी है. 1999 में भी समाजवादी पार्टी के धर्मराज पटेल को जीत मिली थी. 2009 में यह सीट बहुजन समाज पार्टी के पास चली गई. 2014 में बीजेपी के केशव मौर्य ने जीत हासिल की थी. मगर 2018 के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर इस सीट पर कब्जा किया था. तब सपा के नागेंद्र सिंह पटेल को जीत मिली थी. हालांकि 2019 में बीजेपी की केसरी देवी पटेल ने बीजेपी के खाते में फूलपुर लोकसभा सीट दोबारा डाल दी. दूसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी के कैंडिडेट ही रहे. सवाल यह है कि क्या समाजवादी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में यह सीट जेडी-यू को देगी, जबकि जेडी-यू का यूपी में कोई जनाधार नहीं है. अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव और तीन लोकसभा उप चुनावों सात बार कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत मिली है.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में किसके साथ चुनाव लड़ेगी, कौन कहां से चुनाव लड़ेगा यह सब फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करेंगे. न अगर नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश की फूलपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे तो निसंदेह रूप से इससे विपक्षी ताकत और मजबूत होगी और हिंदी भाषी बेल्ट में भारतीय जनता पार्टी को इस से कड़ी टक्कर भी मिलेगी.

फखरुल हसन चांद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने-अपने स्तर पर चुनावी तैयारी को आगे बढ़ा रहे हैं. इस कारण भारतीय जनता पार्टी इससे लगातार कमजोर हो रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंकने में समाजवादी पार्टी पूरी ताकत से जुटेगी. नीतीश कुमार के उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने से विपक्ष और मजबूत होगा.

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद का कहना है कि नीतीश कुमार के यूपी से चुनाव लड़ने से विपक्ष को मजबूती मिलेगी.

नीतीश कुमार बिहार से आते हैं. वह हिंदी भाषी क्षेत्र से हैं. नीतिश कुमार कई बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. अगर वह फूलपुर से चुनाव लड़ते हैं तो स्वाभाविक रूप से इससे पूरी विपक्ष की ताकत बढ़ेगी और भारतीय जनता पार्टी को 2024 में चुनाव हराने में काफी मदद मिलेगी

- फखरुल हसन चांद, प्रवक्ता, समाजवादी पार्टी

2019 में फूलपुर लोकसभा सीट पर 19 लाख 75 हजार मतदाता थे. इनमें 10 लाख 83 हजार पुरुष वोटर तो 08 लाख 91 हजार महिला वोटर थे. उम्मीद जताई जा रही है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान यहां वोटरों की संख्या में करीब 50 हजार की बढ़ोतरी होगी. इस सीट की खासियत रही है कि यहां से जवाहर लाल नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित, जनेश्वर मिश्र और विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे दिग्गज जीत चुके हैं, मगर डा. राम मनोहर लोहिया, बीएसपी संस्थापक कांशीराम, पूर्व केंद्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र और डा. सोनेलाल पटेल और क्रिकेटर मोहम्मद कैफ जैसे नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है.

फूलपुर से अब तक सांसद.

दिग्गज हार भी चुके हैं फूलपुर में :प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) जिले में दो संसदीय क्षेत्र हैं. प्रयागराज और फूलपुर. फूलपुर में कुर्मी यानी पटेल वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. इसके अलावा दलित और मुस्लिम भी किसी को हराने-जिताने का माद्दा रखते हैं. अनुमान के मुताबिक, यहां दलितों की भागीदारी सबसे अधिक है. इसके बाद पटेल कुर्मी और मुस्लिम बड़ी ताकत है. इस सीट पर ब्राह्मण वोट करीब 11.61 पर्सेंट ही मानी जाती है मगर सवर्ण समुदाय का कुल वोट 23 फीसदी है. करीब 5 फीसदी वैश्य हैं. मौर्य और अन्य जातियों का प्रतिशत 16 फीसदी के करीब है.

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Last Updated : Sep 17, 2022, 8:50 PM IST

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