लखनऊः राष्ट्रीय लोक दल पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ही राजनीति करने का टैग लगा है. उम्मीद थी कि 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी इस क्षेत्र से बाहर निकल कर अन्य क्षेत्रों में भी प्रत्याशी उतारेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. एक बार फिर राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही सिमट कर रह गई. रालोद के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने इस बार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ गठबंधन किया है. इस गठबंधन में जयंत की पार्टी को कुल 33 सीटें मिली हैं. इन सभी सीटों पर रालोद अपने सिंबल पर ही चुनाव मैदान में है.
इस बार भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बाहर नहीं निकल पाई RLD, जानिए क्या है प्रमुख वजह - Akhilesh Yadav vs Yogi Adityanath
राष्ट्रीय लोकदल समाजवादी पार्टी के साथ गंठबंधन के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही 33 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. आइए जानते हैं कि यूपी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी की क्या रणनीति है.
यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को हो रहा है. राष्ट्रीय लोकदल पहले ही चरण में 33 में से 29 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो गया. दूसरे चरण में राष्ट्रीय लोकदल के तीन प्रत्याशी मैदान में होंगे तो तीसरे चरण में एक उम्मीदवार जीत की उम्मीद के साथ रणक्षेत्र में दस्तक देगा. राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं को पूरी उम्मीद है कि इन सभी सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार जीतकर आएंगे. क्योंकि रालोद की स्थिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी मजबूत है.
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राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया चौधरी जयंत सिंह ने बिजनौर में रैली के चलते वोट न डालने का फैसला लिया. उनका यह फैसला लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय के नेताओं और कार्यकर्ताओं में चर्चा का विषय बन गया. जयंत के इस कदम को आपसी चर्चा में सभी गलत मान रहे हैं. नेताओं का कहना है कि इससे रालोद को नुकसान हो सकता है. वजह है कि जब हमारा नेता ही वोट नहीं डालेगा तो भला जनता से वोट डालने की अपील भी कैसे कर सकता है. इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा यह भी जयंत को सोचना चाहिए था.