उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

'हिंदुस्तान की आत्मा में बसती है उर्दू, इसे कोई अलग नहीं कर सकता' - फिल्मी दुनिया और पत्रकारिता में उर्दू का योगदान

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उर्दू अकादमी में जश्न-ए-उर्दू का आयोजन किया गया. इस मौके पर मोहसिन खान के उपन्यास 'अल्लाह मियां का कारखाना' का विमोचन किया गया. कार्यक्रम में शामिल कलाकार मंजुल अहमद ने कहा कि उर्दू हिंदुस्तान की भाषा है और कोई भी उर्दू को हिंदुस्तान से अलग नहीं कर सकता.

jashn e urdu organized in lucknow
लखनऊ में जश्न-ए-उर्दू का किया गया आयोजन.

By

Published : Nov 28, 2020, 6:56 PM IST

लखनऊ:राजधानी में उर्दू अकादमी में आयोजित जश्न-ए-उर्दू के दूसरे दिन शनिवार को 'उर्दू नाटक का महत्व' विषयक सेमिनार में उर्दू के बड़े-बड़े दिग्गजों ने शिरकत की. उर्दू के जानकारों ने उर्दू की खासियत और उर्दू के इतिहास पर चर्चा की. विनोद मिश्रा, मंजुल आजाद, सीमा मोदी, आलोक श्रीवास्तव, मिदहाज खान और यूसुफ खान सहित तमाम दिग्गजों ने उर्दू में खत्म हो रहे नाटक पर जोर दिया. कार्यक्रम में मोहसिन खान के उपन्यास 'अल्लाह मियां का कारखाना' का विमोचन भी हुआ. कार्यक्रम में लखनऊ के नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला साहब भी मौजूद रहे.

जश्न-ए-उर्दू का किया गया आयोजन.

हिंदी और उर्दू को कोई अलग नहीं कर सकता
जश्न-ए-उर्दू में शामिल कलाकार मंजुल अहमद ने बताया कि उर्दू हमारी जुबान है और रहेगी. हिंदुस्तान में हिंदी और उर्दू पानी में घुलने वाली एक चीज है, जिसे कोई अलग नहीं कर सकता. उर्दू हमारी रूह में बसती है. मंजुल अहमद कई नाटक और फिल्मों में काम कर चुके हैं.

जश्न-ए-उर्दू में पहले दिन शामिल हुए रजा मुराद
जश्न-ए-उर्दू के पहले दिन ‘फिल्मी दुनिया और पत्रकारिता में उर्दू का योगदान’ पर चर्चा करने के लिए फिल्म अभिनेता रजा मुराद और शहबाज खान शामिल हुए थे. कार्यक्रम में रजा मुराद ने कहा कि फिल्मों को बुलंदियों तक पहुंचाने में उर्दू का अहम योगदान है. उर्दू ने इस समाज को बहुत कुछ दिया है. बॉलीवुड हिंदी फिल्मों के रूप में प्रचलित है. अधिकांश फिल्मों की भाषा हिंदुस्तानी या बोलचाल की हिंदी है। मुगल-ए-आजम, पाकीजा, निकाह, रजिया सुल्तान जैसी अनेक फिल्मों में उर्दू का बेहतरीन इस्तेमाल हुआ है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details