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लखनऊ: राजधानी में जापानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस ने पसारे पैर

यूपी की राजधानी लखनऊ में एईएस खतरा धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. जनवरी से अब तक 46 केस एईएस के मिले हैं. जापानी इंसेफेलाइटिस ग्रसित एक मरीज अभी तक सामने आया है. किसी भी सरकारी अस्पताल में आईसीयू की सुविधा भी नहीं है. इसकी वजह से मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है.

जापानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस ने पसारे पैर.

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Published : Jul 6, 2019, 3:32 PM IST

लखनऊ:राजधानी में एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. हर माह 5 से 10 बच्चे इसकी जद में आ रहे हैं. जनवरी से लेकर मई तक करीब 46 बच्चे इसकी चपेट में आ चुके हैं. जबकि जापानी इंसेफेलाइटिस का एक मरीज सामने आया है. एईएस के मरीजों की तादाद में बढ़ोतरी होने के बाद भी इलाज के इंतजाम सरकारी अस्पतालों में नाकाफी हैं. किसी भी अस्पताल में पीआईसीयू तक की सुविधा नहीं है. सीएमओ से बातचीत में उन्होंने कहा कि सभी सीएचसी पर इलाज की व्यवस्था कराई जा चुकी है.

जापानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस ने पसारे पैर.
  • राजधानी के आसपास के क्षेत्रों में एईएस के मरीज लगभग हर माह सामने आ रहे हैं.
  • मलिहाबाद,माल,काकोरी गोसाईगंज ,आलमबाग,कृष्णानगर,ठाकुरगंज,खादरा समेत सभी इलाकों से हर माह आईएस के मरीज सामने आ रहे हैं.
  • जबकि एक मरीज जापानी इंसेफेलाइटिस का सामने आया है.
  • एक मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.
  • अफसर इलाज के पुख्ता इंतजाम अस्पतालों में कराने का दावा कर रहे हैं.
  • बच्चों की हालत गंभीर होने पर अस्पताल में पीआईसीयू तक की सुविधा नहीं है.
  • जनवरी से जुलाई तक करीब 46 के आसपास मरीज आ चुके हैं.

रिस्पांस टीम से एईएस पर होगा प्रहार
एईएस पर सीएमओ द्वारा रैपिड रिस्पांस टीम गठित की गई है. जो कि लखनऊ में एईएस के मरीज मिलने के बाद उनको बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की जिम्मेदारी उन पर होगी. इसमें एक डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन ,एनम ,नर्स की तैनाती की गई है. जहां भी संदिग्ध मरीज मिलने पर टीम वहां पहुंची कर सैंपल लेकर जांच व प्राथमिक उपचार मुहैया कराती है.

सरकारी अस्पतालों में बेड आरक्षित
डेंगू, मलेरिया के आने वाले मरीजों के लिए सीएचसी पर 8 बेड वह बड़े अस्पतालों में 30 बेड आरक्षित करने के निर्देश मुख्य चिकित्सा अधिकारी दफ्तर द्वारा दिए गए हैं. मरीजों के लिए मच्छरदानी तक इन अस्पतालों में देने के आदेश हैं.


पिछले साल की अपेक्षा इस बार मरीजों की तादाद कम है. सीएचसी से लेकर अस्पतालों में इलाज के पुख्ता इंतजाम कराए जा चुके हैं. बेड आरक्षित करने के भी निर्देश दिए गए हैं.
- डॉ. के पी त्रिपाठी, उप मुख्य चिकित्साधिकारी, लखनऊ

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