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जनजातियों की सांस्कृतिक विरासत की दिखेगी झलक, जानिए कब से शुरू हो रहा 'जनजाति भागीदारी उत्सव'

राजधानी में बुधवार को समाज कल्याण एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग (Janjatiya bhagidari Utsav 2023) के राज्यमंत्री संजीव कुमार गोंड ने पर्यटन विभाग में प्रेसवार्ता आयोजित की. इस उत्सव में सभी जनजातियों में प्रचलित खेलों व उनके वाद्य यंत्रों को विशेष आकर्षण के तौर पर प्रस्तुत किया जाएगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 8, 2023, 7:07 PM IST

राज्यमंत्री संजीव कुमार गोंड ने पर्यटन विभाग में प्रेसवार्ता की

लखनऊ : जनजाति लोकनायक बिरसा मुंडा की 148 जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश जनजाति विकास विभाग, पर्यटन विभाग तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति स्रोत एवं प्रशिक्षण संस्थान 15 नवंबर से राजधानी लखनऊ में 'जनजाति भागीदारी उत्सव" का आयोजन करने जा रहा है. इस उत्सव में भारत के 14 राज्यों से 29 लोक नृत्य जैसे असम से राभा नृत्य, बिहार से संथाली, छत्तीसगढ़ से गैंडी, करमा, झारखंड की पाइका, कर्नाटक की लंबाडी की मनमोहक प्रस्तुति होगी, वहीं भारत की विलुप्त हो रही विधा जैसे नट, बहरूपिया, बीन, बाउल गायन, भोपा भोपी, कच्ची घोड़ी, जादू एवं कठपुतली जैसे कार्यक्रम का आयोजन होगा. यह जानकारी समाज कल्याण एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के राज्यमंत्री संजीव कुमार गोंड ने बुधवार को पर्यटन विभाग में आयोजित एक प्रेसवार्ता पर दी. इस अवसर पर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम व संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव हरि ओम मौजूद रहे.

राज्यमंत्री संजीव कुमार गोंड ने पर्यटन विभाग में प्रेसवार्ता आयोजित की

वृहद शिल्प मेले का भी आयोजन : इस अवसर पर राज्य मंत्री संजीव कुमार गोंड ने बताया कि 'उत्सव में बौद्धिक विमर्श के अंतर्गत शासन जनजाति सशक्त भारत गोष्ठी, जनजाति स्वास्थ्य पर परिचर्चा, सिकिल, एनीमिया की रोकथाम पर कार्यशाला, संस्कृति और विकास जनजाति समाज पर विचार विमर्श तथा भगवान बिरसा मुंडा की जीवन गाथा पर नाट्य प्रस्तुति का आयोजन किया जाएगा. इस उत्सव में सभी जनजातियों में प्रचलित खेलों व उनके वाद्य यंत्रों को विशेष आकर्षण के तौर पर प्रस्तुत किया जाएगा, वहीं इस जनजाति भागीदारी उत्सव में वृहद शिल्प मेले का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न राज्यों से आए लोगों की दुकान लगेगी. जिसमें उत्तर प्रदेश की बनारसी साड़ी, मध्य प्रदेश की चंदेरी, माहेश्वरी व बिहार की भागलपुरी सिल्क साड़ी के अलावा महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम के हैंडलूम की प्रस्तुति होगी. इसके अलावा आयोजन में जनजाति वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी, पुस्तकों के लिए पोथी घर का भी स्टॉल होगा.

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