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सुप्रीम कोर्ट को कुरान की आयतों पर निर्णय करने का अधिकार नहीं: जमीयत

कुरान की आयतों को हटाने संबंधी विवाद में अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद का भी बयान सामने आया है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को कुरान की आयतों के संबंध में निर्णय करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है. इसलिए इससे संबंधित याचिका वह खारिज कर दें.

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द

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Published : Mar 18, 2021, 9:05 PM IST

Updated : Mar 18, 2021, 9:19 PM IST

लखनऊ: कुरान की 26 आयतों को लेकर दायर याचिका पर मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्थाओं में से एक जमीयत उलेमा-ए-हिन्द का भी बयान सामने आया है. जमीयत ने गुरुवार को बयान जारी कर जहां वसीम रिजवी की सख्त निंदा की तो वहीं कहा कि सुप्रीम कोर्ट को कुरान की आयतों के संबंध में निर्णय करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी और महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस उद्देश्य से प्रार्थना पत्र अदालत में दाखिल करना कि कुरान की आयतों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए, यह स्थाई फितना (उपद्रव) और स्वयं में जनहित के लिए अत्यधिक हानिकारक है. इससे देश की सुख, शांति और व्यवस्था को भयंकर खतरा पैदा होगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को स्वयं अपने पिछले फैसलों के प्रकाश में पवित्र कुरान के संबंध में किसी तरह का फैसला करने का कोई अधिकार नहीं है.

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अर्जी को पहली सुनवाई में खारिज करें
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश के संविधान ने सभी धर्मों की मान्यताओं और दृष्टि कोणों के सम्मान और हर एक को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार दिया है. पवित्र कुरान मुसलमानों के लिए मार्गदर्शक और श्रद्धा की सर्वश्रेष्ठ प्रथम किताब है. पूरा इस्लाम धर्म इस पर स्थापित है. इसके बिना इस्लाम धर्म की कोई कल्पना नहीं है. इसलिए हम प्रबुद्ध नागरिक होने के नाते सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना करते हैं कि वह इस अर्जी को पहली सुनवाई में खारिज (निरस्त) कर दें और इस फितने का समाधान करें.

Last Updated : Mar 18, 2021, 9:19 PM IST

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