लखनऊ : अखिलेश यादव सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र अब खंडहर होता चला जा रहा है. 860 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च इस सेंटर पर किया जा चुका है. इंडिया हैबिटेट सेंटर की तर्ज पर इस को विकसित करने की योजना थी, मगर भारी-भरकम खर्च के बावजूद अखिलेश यादव की सरकार के समय यह पूरा नहीं हो सका. भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने पर जांच और सियासत के चलते कभी सुरम्य में दिखने वाला यह सेंटर खंडहर होता जा रहा है. परिसर में बड़ी बड़ी झाड़ियां उग आई हैं. महंगी टाइल्स उखड़ रही हैं.
अखिलेश यादव ने सोमवार को एक ट्वीट करके आरोप लगाया कि सरकार जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र केंद्र को बेचना चाहती है. जबकि इसका निर्माण करवाने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण का दावा है कि अखिलेश यादव के ट्वीट में सच्चाई नहीं है. एलडीए करीब 100 करोड़ रुपये और लगाकर इस केंद्र को पूरा कराएगा. इसके बाद में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत निजी एजेंसी को संचालन के लिए यह केंद्र दिया जाएगा. फिलहाल जेपी सेंटर सुनसान पड़ा है. आम जनता की गाढ़ी कमाई के दिए हुए टैक्स के 860 करोड़ रुपये से अधिक में केवल खंडहर ही नजर आ रहा है. आम लोगों की मांग है कि सरकारी पैसा लगा है इसलिए राजनीति से अलग जेपी सेंटर को शुरू किया जाए.
जयप्रकाश अंतर्राष्ट्रीय केंद्र का निर्माण अखिलेश यादव की सरकार में वर्ष 2012 से शुरू हुआ था. वर्ष 2017 तक इस पर करीब 860 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे. शहर की प्रतिष्ठित रीयल स्टेट कंपनी शालीमार लिमिटेड ने इसका सिविल कार्य कराया. 17 मंजिल की इस इमारत के अलावा पार्किंग अलग से बनाई गई थी. इस जेपी सेंटर के भीतर लोकनायक जयप्रकाश नारायण से जुड़ा एक बड़ा म्यूजियम है. बैडमिंटन कोर्ट लॉन टेनिस खेलने की व्यवस्था है. एक ऑल वेदर स्विमिंग पूल है. करीब डेढ़ सौ कमरों का एक बड़ा गेस्ट हाउस है. कई बड़े सेमिनार हाल हैं. 17वीं मंजिल के ऊपर हेलीपैड बनाया गया है. इसमें क्लब है. डायनिंग एरिया है. कुल मिलाकर वैसे ही लगभग सारे इंतजाम हैं जैसे दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में हैं. वर्ष 2017 तक 80% निर्माण पूरा हो चुका था, मगर इसके बाद जब अखिलेश यादव की सरकार चली गई तो जांच शुरू हो गई. काम रुक गया. जांच में कुछ गड़बड़ियां पाई गईं. जिनका निस्तारण किया गया. इसके बावजूद इसको पूरा नहीं कराया गया.